ब्रिटेन (Britain) की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) का पार्थिव शरीर मंगलवार शाम को स्कॉटलैंड (Scotland) से लंदन (London) पहुंचा. उनके ताबूत को अंतिम रात बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) में रखा जाएगा. इन सबके बीच क्या आपको पता है कि उनके ताबूत को ले जाने वाले प्लेन (Plane) को इतनी बार ट्रैक (Track) किया गया कि ये एक रिकॉर्ड (Record) बन गया है. इतिहास (History) में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी प्लेन को इतनी बार ट्रैक किया गया हो.
वेबसाइट फ्लाइट रडार 24 के मुताबिक महारानी के ताबूत को ले जानी वाली फ्लाइट को इतिहास में सबसे ज्यादा ट्रैक किया गया है. वेबसाइट ने बताया है कि एडिनबर्ग से आरएएफ नॉर्थोल्ट के रास्ते पर रही फ्लाइट के पहले मिनट में लगभग 6 मिलियन लोगों ने इस विमान को ट्रैक किया. इतना भारी ट्रैफिक आने के बाद वेबसाइट में ही दिक्कत आने लगी. जानकारी के लिए बता दें कि ये वो वेबसाइट है जिस पर प्लेन को ट्रैक किया जा सकता है कि वो कहां पर है.
इससे पहले नैंसी पैलोसी जब ताइवान की यात्रा पर गईं थीं तब उनकी फ्लाइट को लोगों ने सबसे ज्यादा टैक किया था. उस वक्त 2.2 मिलियन लोगों ने नैंसी पैलोसी की फ्लाइट को ट्रैक किया था. वहीं, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के शव को ले जाने वाली फ्लाइट को 4.79 मिलियन लोगों ने इसकी वेबसाइट और एप्प से ट्रैक किया और 2 लाख 96 हजार लोग इसे यूट्यूब पर देख रहे थे.
सोमवार को होगा अंतिम संस्कार
महारानी के ताबूत को बुधवार से चार दिन के लिए वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा जाएगा और सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. महारानी का गत बृहस्पतिवार को 96 साल की उम्र में बाल्मोरल कैसल में निधन हो गया था. वह 70 साल से ब्रिटेन में शासन कर रही थीं. महारानी का ताबूत जब लंदन के लिए एडिनबरा हवाई अड्डे से भेजा गया, तब वहां पर राष्ट्रगान की धुन बजाई गई. महारानी के ताबूत के साथ उनकी बेटी प्रिसेंस एनी भी थीं, जो रॉयल एयरफोर्स (आरएएफ)के विमान से एडिनबरा से लंदन साथ आई हैं.
सड़क के रास्ते महल ले जाया गया ताबूत
आरएएफ के पश्चिमी लंदन स्थित नार्थहॉल्ट हवाई ठिकाने पर विमान के उतरते ही महारानी के ताबूत को सड़क मार्ग से मध्य लंदन स्थित बकिंघम पैलेस के लिए ले जाया गया. महाराजा चार्ल्स तृतीय जो मंगलवार को उत्तरी आयरलैंड की यात्रा पर थे, ताबूत की आगवानी करने के लिए पहले ही अपनी पत्नी कैमिला के साथ शाही आवास पर पहुंच चुके थे. ताबूत लंदन पहुंचने और बकिंघम पैलेस भेजे जाने से पहले आरएएफ की तरफ से सलामी गारद दी गई.