भारतीय State Bank के अध्ययन के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत 2020-21 के GDP के 11.5% से घटकर 50 वर्षों के निम्नतम स्तर 5.1% लुढ़क गई। वहीं, इस दौरान भारतीय परिवारों का ऋण 2021 के मुकाबले दोगुना होकर ₹15.6 लाख करोड़ हो गया जिसमें सर्वाधिक हिस्सेदारी बैंकों से लिए गए कर्ज़ की है।