अत्याधिक ऊंचाई वाले दुर्गम बर्फीले क्षेत्रों में गश्त लगाने वाले सैनिकों को अब रडार के जरिए हिमस्खलन की चेतावनी कुछ सैकेंड पहले ही मिल जाएगी और वे उसकी चपेट में आने से बच सकेंगे। इन रडारों की मदद से भूस्खलन का भी समय रहते पता लगाने में मदद मिलेगी। ये राडार सेना और डिफैंस जियोइंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च इस्टेबलिशमैंट ने मिलकर लगाया है। त्रशक्ति कोर के जनलर अफसर कमांडिंग लैफ्टीनैंट जनरल तरन कुमार ने उत्तरी सिक्किम में 15,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित एक अग्रिम चौकी पर इस राडार को लगाया है।
देश में अपनी तरह का यह पहला रडार हिमस्खलन आने के 3 सैकेंड के अंदर उसकी चेतावनी देने में सक्षम है और इससे अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों तथा संपत्ति के नुक्सान को बचाने में मदद मिलेगी। यह राडार सभी तरह के मौसम में दिन-रात काम कर सकता है। यह राडार बर्फ के अंदर भी गतिविधियों का पता लगा सकता है। यह एक अलार्म प्रणाली से भी जुड़ा होता है। इसके जरिए घटना की फोटो तथा वीडियो को भी रिकॉर्ड किया जा सकता है जिससे इनका विश्लेषण करने में आसानी होगी।