मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है। राज्य 2,000 से अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। इस चुनाव को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य के कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ के राजनितिक भविष्य से जोड़ कर देखा जा रहा है। एमपी में भाजपा पिछले दो दशकों से सत्ता में है। वर्तमान चुनावी परिदृश्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस मजबूत हुई है।
बता दें की पिछले चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा पर 5 सीटों की मामूली बढ़त हासिल की थी, लेकिन उसका शासन बहुत छोटा रहा, केवल 15 महीने चली इस सत्ता में अचानक बदलाव तब हुआ जब 2020 में 22 निर्वाचित कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गए, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान का चौथा कार्यकाल शुरू हो गया।
एमपी चुनाव में 5 महत्वपूर्ण सीटें, जिनपर सबकी निगाहें
बुधनी सीट से मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2006 से जीतते आ रहे हैं। एक बार फिर वह अपने गढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में चौहान ने यहां कांग्रेस के अरुण सुभाषचंद्र यादव को 58,999 वोटों से हराया था। 2023 में, कांग्रेस ने अभिनेता विक्रम मस्तल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2008 के रामायण रीबूट में हनुमान की भूमिका निभाई थी। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने एक विवादास्पद उम्मीदवार ‘वैराग्यानंद गिरि का मिर्ची बाबा’ को भी मैदान में उतारा है, जिन्हें चौहान सरकार में मंत्री पद तक पदोन्नत किया गया था, लेकिन उन पर बलात्कार के आरोप लगने के बाद वह कांग्रेस में चले गए थे। फिर भी, बुधनी सीट पर चौहान का दबदबा बेजोड़ है और उन्हें 2023 में भी सीट बरकरार रखने की उम्मीद है।
छिंदवाड़ा सीट विधायक और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कमलनाथ का गढ़ है। इस बार भी वह छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं, यह सीट उन्होंने 2019 में उपचुनाव में जीती थी। कमलनाथ 1998 से 2014 तक यहां से सांसद रहे। भाजपा ने 2023 में एक बार फिर विवेक बंटी साहू को कमलनाथ के खिलाफ मैदान में उतारा है।
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-1 सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका उद्देश्य कांग्रेस के संजय शुक्ला को विस्थापित करने का है। शुक्ला ने 2018 में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता को मामूली अंतर 8,163 वोटों हराया था। विजयवर्गीय की शुरुआती अनिच्छा के बावजूद, पार्टी ने इंदौर-1 सीट पर कांग्रेस के गढ़ को चुनौती देने के लिए उनकी पर्याप्त लोकप्रियता के कारण उन्हें मैदान में उतारा। यहां कांग्रेस ने कई रोड शो किए, जिनमें प्रियंका गांधी वाड्रा का अभियान भी शामिल था, वहीं भाजपा ने रणनीतिक रूप से विजयवर्गीय के अभियान को मजबूत करने के लिए मनोज तिवारी जैसे कई नेताओं को शामिल किया।
भाजपा के सबसे विवादित नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा दतिया सीट से 2008 से जीतते आ रहे हैं। चौथी बार भी वह इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से मिश्रा 2018 में कांग्रेस के राजेंद्र भारती के खिलाफ 2,656 वोटों से हार से बच गए। इस सीट पर 30,000 से अधिक मतदाताओं वाला ब्राह्मण समुदाय इस सीट से मिश्रा और भारती के भाग्य का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।
एमपी के मुरैना जिले में दिमनी निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन के बाद से ठाकुर उपजाति तोमर के लिए एक मजबूत आधार रहा है। 2008 तक एक आरक्षित सीट थी। भाजपा के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पार्टी ने कांग्रेस से सीट वापस लेने के लिए उम्मीदवार बनाया है। 2018 में, कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने जीत हासिल की, लेकिन 2020 में उपचुनाव हुआ क्योंकि वह 22 अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर और भाजपा के दंडोतिया के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें रवींद्र सिंह तोमर 2,600 वोटों के अंतर से जीत गए।