फगवाड़ा के चाचोकी पुल के पास चाइना डोर की चपेट में आने से 50 वर्षीय तरलोक सिंह गंभीर रूप से जख्मी हो गया। मिली जानकारी के अनुसार तरलोक सिंह अपनी मोटरसाइकिल पर अपने गांव जा रहा था। डॉक्टरों ने उसे फगवाड़ा के सिविल अस्पताल से गंभीर हालत में निजी अस्पताल रेफर कर दिया है।
तरलोक सिंह अपनी मोटरसाइकिल पर अपने गांव जा रहा था। जब वह चाचोकी पुल पर पहुंचा तो चाइना डोर की चपेट में आ गया। इससे उसकी आंख, नाक और मुंह के अन्य हिस्सों पर लंबा कट लग गया। घटना में पीड़ित के मुंह पर काफी गहरे घाव बने हैं। डोर से तरलोक की आंख की पुतली को भी क्षति पहुंची है।
तरलोक सिंह को इलाज के लिए सिविल अस्पताल फगवाड़ा लाया गया तो उसका इलाज डॉक्टर मनप्रीत कौर द्वारा शुरू किया गया था। सिविल अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉ. मनप्रीत कौर के अनुसार चाइना डोर की चपेट में आए व्यक्ति तरलोक सिंह की आंख काफी गहरा जख्म बन गया है। उन्हें गंभीर हालत को देखते हुए प्राथमिक इलाज देकर उसे रेफर कर दिया है। गनीमत रही कि समय रहता डोर को पीड़ित ने खुद पकड़ लिया था। वरना इससे उसकी आंखों की रोशनी जा सकती थी।
चाइना डोर है किया
अब तक इसने कई लोगों की जिंदगी को तबाह कर दिया है और ये सिलसिला आज भी जारी है. अपने रास्ते पर चलने वाले को कभी पता नहीं चलता, कि यह कब उसे घेर ले। और उसका जीवन बर्बाद कर दे । हम किस मानसिकता के गुलाम हो गए हैं? कि हम अपने पैसों की खातिर लोगों की जान से खेलते हैं। और दुख की बात है कि यह हमारे ही समाज में कई वर्षों से चल रहा है। इसका खामियाजा इंसानों के साथ-साथ बेजुबान पशु-पक्षियों को भी हर साल भुगतना पड़ रहा है।
सालों से हमारे समाज और प्रशासन के पास सिर्फ एक ही बहाना है. यह डोर चीन से आ रहा है. सिर्फ डोर ही नहीं बल्कि ऐसी कई चीजें हैं जो हमारे समाज और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। हमारी सरकार और हमारा प्रशासन इसे रोकने में पूरी तरह से विफल है। जिसमें प्लास्टिक बैग भी शामिल है. तो ये कहना गलत नहीं होगा कि हमारे समाज में सिर्फ समय बदला है और कुछ नहीं बदला. जरूरत मानसिकता बदलने की है. जिससे एक निष्पक्ष समाज का निर्माण हो सके।