हरियाणा में सामने आया है कि किसानों के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय द्वारा भेजे गए सरकारी पैसे से करनाल, जीरकपुर, रेवाड़ी में लग्जरी अपार्टमेंट्स में फ्लैट्स खरीदे गए। सहकारिता विभाग में हुए 100 करोड़ रुपए के घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा जांच जारी है।
ACB अब तक इस मामले में जगाधरी, कैथल, अंबाला में 11 FIR दर्ज कर चुकी है। शुक्रवार देर रात गुरुग्राम में भी ACB की एक टीम ने रेड की है। यहां से विभाग के कुछ जरूरी दस्तावेज जब्त किए हैं। ACB के सूत्रों का कहना है कि 17-A की परमिशन के लिए फाइल सरकार के पास भेजी गई है।
ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो)अब तक इस मामले में जगाधरी, कैथल, अंबाला में 11 FIR दर्ज कर चुकी है। शुक्रवार देर रात गुरुग्राम में भी ACB की एक टीम ने रेड की है। यहां से विभाग के कुछ जरूरी दस्तावेज जब्त किए हैं। ACB के सूत्रों का कहना है कि 17-A की परमिशन के लिए फाइल सरकार के पास भेजी गई है।
केंद्र ने 2022 में सहकारिता विभाग को 600 करोड़ रुपए किसानों के लिए जारी किए थे। इसी राशि में घोटाला किया गया है।
एडिशनल डायरेक्टर पूछताछ
सहकारिता विभाग के एडिशनल डायरेक्टर नरेश गोयल और कई अन्य अफसरों पर भी केस दर्ज करने की मंजूरी मांगी गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही नरेश गोयल को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा सकती है। ACB की जांच में हुए खुलासे के बाद सहकारिता विभाग ने सीनियर ऑडिटर सुमित अग्रवाल को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। वहीं सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक और उप मुख्य लेखा परीक्षक योगेंद्र अग्रवाल को बर्खास्त करने की सिफारिश की गई है। ACB की जांच में सामने आया है कि अधिकारियों व कर्मचारियों ने विभाग की ऑडिट ब्रांच के अधिकारियों से भी मिलीभगत की हुई थी। इसी वजह से ऑडिटर भी सब कुछ ठीक बताते रहे।
2022 में 14 अधिकारियों पर केस दर्ज
इस मामले में सबसे पहले नवंबर 2022 में रेवाड़ी जिले को लेकर शिकायत आई। मुख्य सचिव ने ACB को जांच सौंपी। इसमें सामने आया कि आरोपी अधिकारियों ने सरकारी पैसे पर एक ही कंपनी से कंप्यूटर, बैटरी, कैमरे खरीदे हैं, जबकि कागजों में दिखाया कि उन्होंने ट्रेनिंग पर खर्चा किया है। कंपनियों से रिश्तेदारों के खातों में पैसे ट्रांसफर करा लिए। इसमें ACB ने 14 अधिकारियों और कर्मचारियों पर केस दर्ज किया। इसके बाद जांच कैथल और करनाल तक पहुंची है। पानीपत, गुरुग्राम, सोनीपत जिलों की भी जांच चल रही है।
राशि 100 करोड़ रुपए से…
कैथल सहकारी समिति के सहायक रजिस्ट्रार (AR) जितेंद्र कौशिक को ACB ने 2 दिन की रिमांड पर लिया है। जितेंद्र कौशिक पर 2021-22 में ICDP की 4 करोड़ 40 लाख रुपए की ग्रांट में घोटाले के आरोप लगे हैं। यहां सामान खरीद के फर्जी बिल तैयार कर घोटाला किया गया। ACB अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच जारी है। संभावना है कि घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपए से भी अधिक हो।
अब तक हो चुकी गिरफ्तारी
ACB ने मामले की गहनता से जांच करते हुए इसमें संलिप्त 6 राजपत्रित अधिकारियों, ICDP रेवाड़ी के 4 अन्य अधिकारियों और 4 निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी की है। इन आरोपियों में ऑडिट ऑफिसर बलविंदर, डिप्टी चीफ ऑडिटर योगेंद्र अग्रवाल, जिला रजिस्टर सहकारी समिति करनाल रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति अनु कोशिश, रामकुमार, जितेंद्र कौशिक और कृष्ण बेनीवाल शामिल हैं। इसी विभाग के ICDP रेवाड़ी के लेखाकार सुमित अग्रवाल, डेवलपमेंट अधिकारी नितिन शर्मा और विजय सिंह की गिरफ्तारी की गई है। वहीं, टीम ने चार अन्य व्यक्तियों स्टालिन जीत, नताशा कौशिक, सुभाष और रेखा को गिरफ्तार किया है।
आनन-फानन 4 वर्षीय योजना खत्म की
इधर, सहकारिता विभाग ने 2021 में शुरू की 4 वर्षीय एकीकृत सहकारी विकास परियोजना को इस साल मार्च में ही खत्म करने का फैसला कर लिया है। योजना के 38 करोड़ रुपए वापस मंगवा लिए हैं। वित्त विभाग से 2023-24 के लिए प्रस्तावित 48.71 करोड़ जारी न करने की भी सिफारिश की गई है। इस योजना के तहत किसानों को ट्रेनिंग, लोन, सोलर पंप, भंडार गृह तैयार करने जैसी सुविधाओं का प्रावधान है।