छोटे बच्चों के कानों में कभी भी तेल नहीं डालना चाहिए. कानों में तेल डालने से बच्चों में संक्रमण हो सकता है.तेल में कई प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो कान के अंदर तक पहुंचकर संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं. बच्चों के कानों में तेल डालना से कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है. तेल कान की पर्दे में चिपक सकता है, जिसके कारण बच्चों को सुनाई देने में परेशानी हो सकती है. इस प्रकार की समस्या भविष्य में बहरापन का कारण भी बन सकती है. कान में तेल डालने से नमी बढ़ती है. जब कान में नमी होती है, तो वहां गंदगी, धूल और जीवाणुओं के जमाव का ज्यादा खतरा होता है. ये जब अधिक जीवाणुओं का जमाव होता है, तो उनमें इंफेक्शन हो सकता हैं. बच्चों के कानों में तेल नहीं डालना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति दादी मां के उपायों की कोशिश करके बच्चों के कानों में तेल डालना चाहता है, तो वह जैतून का तेल डाल सकता है. जैतून के तेल के अलावा, बच्चों के कानों में किसी भी अन्य तेल को डालने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. अगर आप जैतून का तेल बच्चों के कान में डालना चाहते हैं तो केवल कमरे के तापमान का ही डालें. नवजात शिशुओं के कानों में तेल डालने से बचें.