पंजाब के मुकेरियां उपमंडल में 1980 के दशक में खेतों की सिंचाई के लिए ब्यास दरिया से निकलने वाले पानी से नहरे का जाल बिछाया गया था, ताकि किसान इसका अधिक से अधिक लाभ लेकर अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सके। लेकिन इस समय इन ब्रांच नहरों अर्थात छोटी नहरों की हालत इतनी खस्ता है कि इनमें घास-फूस ही दिखाई देती है। इससे किसानों को मुश्किल हो रही है। वहीं परेशान किसानों ने नहरों के पानी को छोड़कर के इंजन के लिए बिजली कनैक्शन लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उधर पंजाब सरकार इस संबंध में बार-बार घोषणा कर रही है कि किसान नहरों का पानी किसानों के खेतों को जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। किसान नेता ठाकुर रघुनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार के आदेश केवल घोषणा तक ही रह जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ना तो लोगों ।ृ़ को नहर का पानी मिल रहा है और – ना ही किसानों को अब तक कोई – बर्बाद हुई फसलका मुआवजा मिला है। इससे किसान परेशान हैं।