मई के मध्य में ही चिलचिलाती धूप के दिन प्रतिदिन बढ़ते कहर से स्कूली बच्चे परेशान होने लगे हैं। मई माह में ही इतनी गर्मी पड़ रही है कि लोग जून की गर्मी को लेकर आशंकित हो रहे हैं। तापमान बढ़ने के कारण सबसे अधिक स्कूली बच्चे परेशान हैं। भीषण गर्मी में भी वे स्कूल जाने को मजबूर हैं। दोपहर में स्कूलों की छुट्टी होने के बाद बच्चों को उनके अभिभावक गर्मी से बचाकर किसी तरह घर वापस लेकर आ रहे हैं। जानकारों की माने तो ग्लोबल वार्मिंग के चलते गर्मी का प्रकोप दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को पारा 44 डिग्री तक पहुंच गया। गर्म हवाओं के थपेड़े दिन निकलते ही शुरू हो जाते हैं। दिनभर गर्मी और गर्म हवाओं के कारण लोग छांव की तलाश करते रहे। mस्कूल से गर्मी में लौट रहे बच्चों का बुरा हाल है। अधिकांश स्कूलों में करीब 2 बजे छुट्टी हो रही हैं। प्यास से व्याकुल और पसीने से नहाए बच्चों में गर्मी से निजात पाने के लिए जल्दी से जल्दी घर पहुंचने की होड़ दिखाई दी। पैदल और साइकिल से चलने वाले बच्चों का तो गर्मी के कारण और भी बुरा हाल रहा।पंजाब भर में गर्मी चरम पर है। पारा लगभग 44 डिग्री तक पहुंच चुका है। भीषण गर्मी ने लोगों की दिनचर्या में बदलाव लाने को मजबूर कर दिया। लोग दोपहर में बाहर निकलने से बचने लगे हैं। सड़कें और बाजार भी दोपहर में सूने हो जाते हैं लेकिन स्कूली बच्चों की दिनचर्या में कोई फर्क नहीं आया है। उन्हें अब भी तपती दोपहरी में ही पसीने से लथपथ होकर घर लौटना पड़ रहा है, क्योंकि शिक्षा विभाग ने स्कूलों का समय नहीं बदला है। अभी स्कूलों का समय सुबह 8 बजे से 2 बजे तक का है। 2 बजे गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में बच्चों को धूप और लू के थपेड़ों के बीच ही स्कूल से घर जाना पड़ता है। शहरी क्षेत्र में निजी स्कूलों की संख्या अधिक है। यहां निजी स्कूलों ने अपने बच्चों को लाने -ले जाने के लिए बसें और परिवहन के अन्य साधन लगा रखे हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती।