लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम सीमा पर पहुंचने के रूप में चारों तरफ उम्मीदवारों के बैनर, पोस्टर, झंडे व होर्डिंग नजर आ रहे हैं। इनमें से सरकारी प्रविष्टियों में शामिल फलाईओवर, खंभों, बिल्डिंग आदि पर लगे सियासी पार्टियों के बैनर, पोस्टर, झंडे व होर्डिंग तो चुनाव आयोग द्वारा नगर निगम की टीमों की मदद से हटाए जा रहें हैं, जबकि प्राइवेट प्रापर्टीज पर बैनर, पोस्टर, झंडे व होर्डिंग लगाने के लिए बिल्डिंग मालिक की लिखित सहमति होने पर रिटर्निंग आफिसर के जरिए मंजूरी दी जा रही है लेकिन इसके लिए फीस वसूलना नगर निगम के आफिसर भूल गए हैं और इसके लिए ऊपर से कोई आर्डर न आने की बात कह रहें हैं जिसे सत्ताधारी पार्टी के गुप्त निर्देशों से जोड़कर देखा जा सकता है। इससे पहले विधानसभा चुनावों के दौरान प्राइवेट प्रापर्टीज पर होर्डिंग लगाने के लिए बिल्डिंग मालिक की लिखित सहमति होने के साथ फीस की वसूली की जाती थी जिससे नगर निगम को काफी रैवेन्यू मिलता था।