प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग मिली है। गृह मंत्रालय को दी गई अपनी रिपोर्ट में ईडी ने बताया है कि 2014 से 2022 के बीच आम आदमी पार्टी को कुल 708 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है। यह विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम, जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम और भारतीय दंड सहिंता का उल्लंघन है।
जांच एजेंसी ने पार्टी पर इस विदेश फंड को हासिल करने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए), और विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस फंड को हासिल करने के लिए विदेशी दानदाताओं की पहचान और राष्ट्रीयता के साथ-साथ कई अन्य तथ्यों को छिपाने जैसे आरोप ईडी ने अपनी रिपोर्ट में लगाए हैं।
ईडी ने बताया कि
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आम आदमी पार्टी ने अपने अकाउंट में पैसे देने वाले लोगों की असली पहचान छिपा दी। ताकि राजनीतिकि दलों के लिए विदेशी फंडिंग पर लगे प्रतिबंध से बचा जा सके।
विदेशी लोगों ने पैसा सीधे आम आदमी पार्टी के IDBI बैंक खाते में जमा किया था। एमएलए दुर्गेश पाठक सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने यह पैसा अपने खाते में भी जमा किया।
ये सभी खुलासे पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मगलिंग के एक मामले के दौरान हुए। इस मामले में पाकिस्तान से भारत हेरोइन स्मगल करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसी काम कर रही थी।
इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आप एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था। ईडी ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था तो खैरा और उसके साथियो के यहां से कई संदिग्ध कागजात मिले थे, जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी। बरामद कागजातों में 4 टाइप रिटन पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें यूएसए के डोनर की पूरी जानकारी थी। ईडी ने अपनी जांच से संबंधित सभी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को दानकर्ताओं के विवरण के साथ शेयर की है।
जैसे फंडिंग करने वाले के नाम, दानकर्ता का देश, पासपोर्ट नंबर, दान की गई राशि, दान का तरीका और प्राप्तकर्ता का बैंक खाता नंबर, बिलिंग नाम, बिलिंग पता, बिलिंग टेलीफोन नंबर, बिलिंग ई-मेल, दान का समय और तारीख और पेमेंट के लिए इस्तेमाल किए गए गेटवे आदि, जो कि पीएमएलए, 2002 के तहत जांच के दौरान एकत्र किए गए हैं। एजेंसी ने कनाडाई नागरिकों की ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबरों के माध्यम से दान से संबंधित सबूत भी एकत्र किए हैं।
जो डेटा पंकज गुप्ता ने ईडी को उपलब्ध कराया उसकी पड़ताल से पता चला कि ये फॉरेन डोनेशन कानून का उलंघन था। उस दौरान ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर इस्तेमाल कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किये थे।
71 डोनर ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बारी में कुल 9990870 रुपये डोनेट किये। 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बारी में 19, 92, 123 रुपये डोनेट किए। इससे साफ है कि डोनर की आइडेंटिटी और नेशनलिटी को छुपाया गया जो FCRA,2010 का उलंघन है।