डैस्क न्यूज़9 पंजाब: भारत से ही निकल कर पड़ोसी मुल्क बने पाकिस्तान द्वारा भारत में आंतकवाद जैसी हरकतें करके लाखों भर्ती नागरिकों की जान से खेल कर और दुनिया भर में अपनी मासुमियत का डिंडोरा पीटने वाला पाकिस्तान आज एक के बाद एक अपनी गलती दुनिया के सामने ख़ुद बा ख़ुद मान रहा है।
पाकिस्तान के अंदरूनी हालात आज दुनिया के सामने है। और पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ ने पब्लिक मीटिंग में पाकिस्तान द्वारा भारत को समय समय पर दिये धोख़े और आंतकवाद जैसी गंदी हरकतें को कबूलना शुरू कर दिया है
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने हाल ही में स्वीकार कियाकि उनके देश ने 1999 में भारत के साथ शांति समझौते को तोड़ा था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नवाज शरीफ ऐसी बात करके भारत के साथ व्यापार शुरू करना चाहते हैं। इसे लेकर पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नेता साजिद तरार ने नवाज को लताड़ लगाई। उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले आप हालत देखें अपने। आपके कहने से क्या फर्क पड़ता है कि भारत आपके साथ ट्रेड शुरू कर दे? ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला।’
उन्होंने कहा, ‘आज गलती मानने से कुछ नहीं होने वाला। अगर मोदी साहब जीत जाते हैं तो वह आकर देखेंगे कि असली स्टेकहोल्डर (सेना) आपके साथ हैं या नहीं? वह क्यों नहीं बात करती।’ उन्होंने आगे कहा, ‘कारगिल युद्ध पर आपने सफाई दे दी। आतंकवाद पर सफाई दी है। नवाज शरीफ को इसी तकरीर के अंदर सफाई देनी चाहिए थी कि हम भारत को तसल्ली देंगे कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवाद से नहीं जुड़ी है। उन्हे सरकार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी, क्योंकि देश तो उनके कंट्रोल में नहीं है।’
आतंकवाद के लिए भी माफी मांगे पाकिस्तान
साजिद तरार ने आगे कहा, ‘अफगानिस्तान और ईरान से हमले हो रहे हैं। देश तो कंट्रोल में नहीं है। लेकिन भारत को बताएं कि आपके हाथ साफ हैं। हम प्रॉक्सी नहीं पैदा कर रहे। पाकिस्तान को ये मानना पड़ेगा, क्योंकि दहशतगर्दी उसकी दुकान रही है। अफगानिस्तान में जितने आतंकी हैं उन्हें पाकिस्तान ने बनाया। अब उसकी गलती भी माननी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा कि आम पाकिस्तानी ट्रेड चाहता है, लेकिन नवाज शरीफ कुछ नहीं कर सकते असली पार्टी (सेना) को ही सब करना होगा। क्योंकि कारगिल भी नवाज शरीफ ने नहीं किया था।
भारत किस पर करे विश्वास?
पाकिस्तानी पत्रकार कमर चीमा ने कहा, ‘पाकिस्तान बात करना चाहता है, लेकिन भारत लिफ्ट कराने को तैयार नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान की लीडरशिप बात करने के लिए तैयार बैठी है। लेकिन भारत के सामने सबसे बड़ी दुविधा है कि वह विश्वास किस पर करे। क्या वह फौज से बात करे या नेताओं से बात करे। अगर नेताओं से बात करे तो इसपर कितना विश्वास किया जाए। लेकिन भारत फौज से बात ही नहीं करेगा।’