लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की 7 सीटों पर जीत हुई। पंजाब में भले ही चार पार्टियां चुनाव लड़ रही थी लेकिन कांग्रेस एक मात्र ऐसी पार्टी थी जिसे सबसे अधिक टूट-फूट का नुकसान उठाना पड़ा था।
कांग्रेस के मौजूदा विधायक इस्तीफा देकर आप से प्रत्याशी बन गए तो सिटिंग सांसद भाजपा में शामिल हो गए। इस सबके बावजूद कांग्रेस ने पंजाब में अपनी बढ़त को बरकरार रखा।
वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ समझौता नहीं करने की रणनीति भी कांग्रेस के लिए लाभदायक साबित हुई। हालांकि 2019 के मुकाबले कांग्रेस को एक सीट का नुकसान हुआ।
विधानसभा चुनाव में हार और नेताओं के पार्टी छाड़ने के बावजूद बनी सबसे बड़ी पार्टी
2022 के विधानसभा चुनाव में हार और नेताओं के पार्टी छोड़ कर जाने के बावजूद कांग्रेस 7 सीटों को जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि वोट शेयर के हिसाब से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का औसत लगभग बराबर ही है।
कांग्रेस ने पंजाब की 13 सीटों पर 35,43,824 वोट हासिल की। जबकि आप को 35,06,939 वोट मिली। वोटर शेयर कि हिसाब से भी कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ा 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर 40.12 फीसदी था। जोकि इस बार 26.30 फीसदी रह गया।
कांग्रेस के लिए यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2022 के विधान सभा चुनाव में उन्हें 59 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में लोक सभा चुनाव में मिली जीत उनके लिए ऑक्सीजन का काम करेगा।
पंजाब में नई लीडरशीप उभरने का भी मिलेगा मौका
पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश अध्यक्ष और लुधियाना के प्रत्याशी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा के सांसद बनने से राज्य में नई लीडरशिप को उभरने का भी मौका मिलेगा।
अहम बात यह है कि लुधियाना सीट को छोड़ दिया जाए तो गुरदासपुर और जालंधर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद भाजपा प्रत्याशी का प्रचार करने के लिए आए थे। इन तीनों ही सीटों पर कांग्रेस का भाजपा के साथ सीधा मुकाबला हुआ। वहीं, कांग्रेस के दो सांसद अमृतसर से गुरजीत औजला और फतेहगढ़ साहिब से डा. अमर सिंह भी अपनी सीट को जीतने में कामयाब रहे।