जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर और पांच बार की पार्षद सुरिंदर कौर को मैदान में उतार दिया है। इसके साथ ही वेस्ट विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला तय हो गया है।
सुरिंदर कौर अपने वार्ड के साथ-साथ जालंधर वेस्ट में अच्छी पैठ रखती हैं। वह लगातार नगर निगम चुनावों में जीतने वाली महिला पार्षद है। इसके अलावा वह डिप्टी मेयर भी रही है। सुरिंदर कौर पहले दिन से ही वेस्ट में टिकट की दावेदार थीं, हालांकि इस टिकट के लिए मोहिंदर सिंह केपी का नाम लिया जा रहा था, लेकिन कांग्रेस ने अपनी इस महिला पार्षद पर भरोसा जताया है।
आम आदमी पार्टी ने मोहिंदर भगत और भारतीय जनता पार्टी ने शीतल अंगुराल को पहले ही मैदान में उतारा है। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने अभी उम्मीदवारों की घोषणा करनी है लेकिन मुख्य मुकाबला आप, कांग्रेस और भाजपा में नजर आ रहा है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली थी लीड
इसी महीने लोकसभा चुनाव के नतीजे में वेस्ट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 1,557 वोट की लीड हासिल हुई थी और भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। आप प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे थे। हालांकि इस बार हालात बदले होंगे और विधानसभा चुनाव की लड़ाई नए सिरे से होगी।
कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित करने में काफी देरी कर दी है और अब नामांकन के लिए सिर्फ दो दिन बचे हैं। शीतल अंगुराल वीरवार को नामांकन दाखिल करेंगे, जबकि मोहिंदर भगत और सुरिंदर कौर शुक्रवार को नामांकन पत्र भरेंगे।
पति की मौत के बाद संभाली विरासत
सुरिंदर कौर ने टिकट हासिल करने के लिए कोई राजनीतिक जुगत लगाने के बजाय पिछले 25 साल के काम को ही आधार बनाया। टिकट के लिए 21 दावेदार थे लेकिन कांग्रेस को सुरिंदर कौर के नाम पर ही मुहर लगानी पड़ी। पति राम आसरे के निधन के बाद सुरिंदर कौर ने चुनाव लड़ा और धीरे-धीरे राजनीतिक रूप से पारंगत होती गईं।
उन्होंने घर और राजनीति में संतुलन बना कर रखा और दोनों तरफ कामयाबी हासिल की। पिछले पांच चुनाव में वह लगातार एकतरफा जीत हासिल करती रही हैं। पार्टी ने 2018 में सीनियर डिप्टी मेयर की जिम्मेदारी दी थी। अपने करियर में वह विवादों से दूर रही हैं।
साल 2017 में जब सुशील रिंकू को टिकट मिला, तब भी वह मजबूत दावेदार थीं। सुरिंदर कौर को पूर्व मंत्री मोहिंदर सिंह केपी गुट का माना जाता है, लेकिन उन्होंने गुटबाजी से पहले पार्टी को अहमियत दी।