भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने दस हजार पुलिसकर्मियों के तबादलों को लेकर डीजीपी गौरव यादव के बयान को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह बताना चाहिए कि पुलिसकर्मियों के तबादलों को लेकर आखिर उन्होंने लोगों को गुमराह क्यों किया। क्योंकि मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश के दस हजार पुलिसकर्मियों का इसलिए तबादला किया जा रहा है क्योंकि वह ड्रग तस्करी में संलिप्त पाए गए थे।
जबकि डीजीपी का कहना है कि पुलिस मुलाजिम लंबे समय से एक ही जगह पर ड्यूटी दे रहे थे, इसलिए उनका तबादला किया गया। डीजीपी का यह बयान मुख्यमंत्री को शीशा दिखाने के समान है।
ऐसे बयानों से सुरक्षाकर्मियों का मनोबल गिरता है: जाखड़
जाखड़ ने कहा कि भगवंत मान को यह समझना पड़ेगा कि वह मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे हैं। पुलिस कर्मियों के तबादलों पर उनका ऐसा बयान सुरक्षाकर्मियों का मनोबल गिरता है। इससे पुलिस बल में भ्रम पैदा होता है।
भाजपा के प्रदेश प्रधान ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से जो भ्रामक स्थितियां बनी उसी के कारण डीजीपी को यह बयान देना पड़ा कि तबादले ड्रग्स में संलिप्त होने की वजह से नहीं बल्कि लंबे समय से एक ही स्थान पर ड्यूटी देनी की वजह से किए गए है। डीजीपी के बयान से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री तबादलों का भी राजनीतिक लाभ लेना चाहते थे।
मुख्यमंत्री की प्रशासन पर पकड़ नहीं: जाखड़
जाखड़ ने कहा कि पुलिस प्रमुख के बयान से साफ है कि मुख्यमंत्री की प्रशासन पर पकड़ नहीं है। जबकि गृह विभाग भी उन्हीं के पास है। मुख्यमंत्री हकीकत से मुंह छिपाते है।
भगवंत मान लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए पुलिस को बलि का बकरा नहीं बना सकते। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मान इस हार की जिम्मेदारी स्वीकार करें और सूबे में ड्रग की भयंकर जानलेवा समस्या के साथ गंभीरता से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।