23 जून 1985 की तारीख की शुरुआत बम धमाके से हुई. कनाडा के इतिहास में दर्ज कनिष्क विमान हादसा आज भी लोगों को झकझोर कर रख देता है। आज ही के दिन एयर इंडिया की फ्लाइट 182 और बोइंग 747 को आतंकियों ने उड़ा दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, टोरंटो से यह फ्लाइट लंदन होते हुए नई दिल्ली पहुंचनी थी।
यह विमान अटलांटिक महासागर से करीब 31 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था तभी अचानक विमान में जोरदार विस्फोट हुआ और विमान आग का गोला बन गया. इस दुर्घटना में 329 लोगों की जान चली गई, जिनमें 307 यात्री और 22 चालक दल के सदस्य शामिल थे।
चरमपंथी सिख संगठन बब्बर खालसा ग्रुप ने हमले की जिम्मेदारी ली यह हमला 1984 में श्री हरमंदिर साहिब पर तत्कालीन भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ किया गया था।
इस हमले में कुल 329 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जिसमें कनाडा के 268 लोग भी शामिल थे, जो लगभग भारतीय मूल के थे। इंग्लैंड के 27, अमेरिका के 10 और चालक दल के 22 सदस्यों सहित 24 लोग भारतीय थे। इन सभी लोगों में से केवल 131 लोगों के शव ही मिले
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देशानुसार अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब में साका नीला तारा के तहत एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था। श्री हरमंदिर साहिब को चरमपंथियों के कब्जे से मुक्त कराने के उद्देश्य से किए गए इस ऑपरेशन में 83 सैनिक और 492 नागरिक मारे गए थे.
जानकारी के मुताबिक, जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सेना को दी गई थी. जिसके बाद पंजाब में नरसंहार हुआ. कहा जाता है कि प्रधानमंत्री इंदिरा के फैसले से नाराज चरमपंथियों ने कनिष्क विमान दुर्घटना को अंजाम दिया था।
पंजाब में सिख आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत जरनैल सिंह भिंडरावाला और उनके सभी सहयोगी मारे गए थे। इस ऑपरेशन के दौरान श्री हरमंदिर साहिब को भी नुकसान पहुंचा था. इस वजह से सिख समुदाय का एक वर्ग प्रधानमंत्री इंदिरा से नाराज था. जिसके चलते प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही सिख गन मैना द्वारा 30 गोलियां मर कर हत्या कर दी गई। इस कार्रवाई का नतीजा यह हुआ कि राजधानी दिल्ली समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में सिखों के खिलाफ दंगे भड़क उठे. इन दंगों में हजारों लोग मारे गए थे।
इस उड़ान का नाम सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था
एयर इंडिया की इस फ्लाइट का नाम भारत के महान शासक सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था। इतिहास के अनुसार कनिष्क का राज्य आधे चीन तक फैला हुआ था। उनकी महानता और बहादुरी से प्रेरणा लेते हुए एयरलाइन कंपनी ने इस फ्लाइट का नाम कनिष्क रखा है। यही कारण है कि इस दुर्घटना को कनिष्क विमान दुर्घटना भी कहा जाता है।
आइये कनिष्क विमान दुर्घटना पर वापस चलते हैं
सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले की जांच पूरी करने में 20 साल लग गए, पहले 6 साल तो किसी के ख़िलाफ़ कोई कारवाही नहीं की गई, लंबी जांच में हमले की जिम्मेदारी इंद्रजीत सिंह रयात पर पाई गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रयात ने बमबारी के लिए डेटोनेटर, डायनामाइट और बैटरियां खरीदीं। यही वजह थी कि कनाडा की विशेष अदालत ने उन्हें 15 साल की सजा सुनाई थी.
ऐसा उन लोगों का मानना है जिन्होंने इस हादसे में अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को खो दिया है। उन्हें आंशिक न्याय मिला है. उनका मानना है कि कनाडा में न्याय पाने में 20 साल लग गए। कहा जाता है कि कनाडा के पूर्व अंडरकवर पुलिसकर्मी जेम्स बाल्टमैन ने एक सप्ताह पहले अपने वरिष्ठ अधिकारियों को हमले की सूचना दी थी। लेकिन इस बारे में कुछ नहीं किया गया. लेकिन उस वक्त कनाडा की सरकार ने अपने अधिकारी के इस बयान को झूठा और पीड़िता के लिए गुमराह करने वाला बताया था।
लेकिन ये बात आज भी सच है कि दुनिया के इतिहास में कनाडा में ये सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना है. वहीं पीड़िता के मुताबिक न्याय अधूरा है।