पुराने जमाने की पेरेंटिंग और आजकल की पेरेंटिंग में काफी बदलाव आ चुका है। पहले जहां माता- पिता बच्चों की गलतियों पर उन्हें डांट-मार कर सिखाते हैं, वहीं आजकल के पेरेंट्स ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्हें समझ आ गया है कि डांटने-मारने से बच्चों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता, इसलिए वो उन्हें सही चीजें सिखाने और सुधारने का एक दूसरा फॉर्मूला अपना रहे हैं, जो है टाइम आउट सिद्धांत।
सही पेरेंटिंग में एक और जिस चीज ने बहुत हेल्प की है वो है साइकोलॉजिस्ट और चाइल्ड एक्सपर्ट का सर्पोट। जो बच्चों को ही नहीं, बल्कि मां-बाप को भी सही गाइड करते हैं। इंदु राव, जो एक करियर काउंसलर है, उनका मानना है कि टाइम आउट सिद्धांत काफी हद तक कारगर है बच्चों को उनकी गलतियों का एहसास कराने के लिए। इससे सिर्फ बच्चों का ही नहीं, पेरेंट्स का भी फायदा होता है। आइए जानते हैं कैसे।