पंजाब में लोकसभा चुनावों में महज एक सीट जीतने में कामयाब रही शिरोमणि अकाली दल (SAD) में बगावत के सुर उठने लगे हैं. पार्टी दो धड़ों में बंटती हुई नजर आ रही है।
अकाली दल के एक गुट ने सुखबीर बादल से इस्तीफे की मांग की है. जालंधर में पार्टी नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नेतृत्व में एक गुट की मीटिंग हुई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से इस्तीफे की अपील की गई ।
उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल को पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस्तीफा देना चाहिए. चंदूमाजरा ने बताया कि बैठक में इस बात को लेकर चर्चा की गई कि पार्टी का जनाधार इतना कमजोर क्यों पड़ गया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी में बदलाव की जरुरत है ।
प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने क्या कहा?
प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से अपील करते हुए कहा कि उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. बैठक में सिकंदर सिंह मलूका भी थे जिन्होंने भी सुखबीर बादल से इस्तीफे की अपील की ।
उन्होंने कहा कि पार्टी की जो अभी स्थिति है, उस हिसाब से बादल को खुद ही पीछे हट जाना चाहिए. उन्होंने अकाली दल बचाओं आंदोलन शुरु करने का फैसला लिया है. बागी गुट की मांग है कि सुखबीर सिंह बादल की जगह किसी और को पार्टी का प्रमुख बनाया जाना चाहिए ।
चंडीगढ़ में सुखबीर सिंह बादल गुट की हुई बैठक
अकाली दल के एक गुट ने एक तरफ जालंधर में बैठक की तो दूसरी तरफ सुखबीर सिंह बादल गुट ने चंडीगढ़ में मीटिंग की. चंडीगढ़ में अकाली दल के हेडक्वार्टर में विधानसभा के प्रभारियों के साथ सुखबीर सिंह बादल की बैठक हुई, जिसमें पार्टी का सीनियर नेतृत्व भी मौजूद रहा. मीटिंग के बाद पार्टी के सीनियर नेतृत्व ने सुखबीर सिंह बादल के ऊपर भरोसा जताया है ।
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में अकेले ही चुनाव लड़ा. बीजेपी से अलग होकर अकाली दल ने राज्य की सभी 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
पंजाब की बठिंडा सीट पर ही सिर्फ अकाली दल कब्जा कर पाई. यहां से अकाली दल के सुप्रीमो सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने चुनाव में जीत हासिल की. उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुड्डियां को 49 हजार 656 वोटों के अंतर से हराया ।
दलजीत सिंह चीमा ने कही ये बात
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कोर पार्टी मीटिंग में कहा कि हमारी पार्टी के प्रमुख (सुखबीर सिंह बादल) ने शुरुआत में कहा था कि अगर पार्टी को ऐसा लगता है, तो वह अपना पद छोड़ने को तैयार हैं। पार्टी ने इसके विपरीत फैसला किया और हमें लगता है कि अपनी कमियों पर विचार करना और उन्हें सुधारने की दिशा में मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल की बुरी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष सुखबीर के खिलाफ बगावत करते हुए पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की आवाज उठी थी। इसके बाद एक झूंदा कमेटी का गठन किया गया था।
इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बादल ने संगठनात्मक ढांचा तो भंग कर दिया, लेकिन वह खुद अध्यक्ष बने रहे। उस समय बगावती सुरों को दबाने के लिए हार के कारणों का पता लगाने के लिए पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया था।
इस्तीफा मांगने वालों की बार-बार हार हुई है- ग्रेवाल
दूसरी ओर, अकाली दल के महासचिव बलविंदर सिंह भूंदड़, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद हैं और यह बगावत नहीं है।
ग्रेवाल ने बादल का समर्थन करते हुए कहा कि जिनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है, वे 50 हजार वोटों के अंतर से जीते हैं। जबकि वे (बागी) लगातार तीन बार हार रहे हैं और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
भूंदड़ ने कहा कि देश में मोदी के पक्ष और विपक्ष में आंदोलन चल रहा है। अकाली दल लोगों को यह नहीं समझा सका कि जीत के बाद वे कहां खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी पंजाब के हित के सिद्धांतों पर कायम है और उनके लिए राज्य का बंटवारा बाद की बात है।
अकाली नेता चंदूमाजरा एक जुलाई को जत्थेदार साहब से करेंगे मुलाकात
जालंधर में बागी नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों के बारे में प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि अकाली नेता 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होंगे और जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब से खीमा जचका को गलती माफ करने का अनुरोध करेंगे।
चंदूमाजरा ने कहा कि अतीत में कुछ गलतियां हुई हैं, कुछ जानबूझकर और कुछ चुप रहकर। उन्होंने सभी अकाली नेताओं से एक जुलाई को भूलने के लिए अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अकाली दल का गौरवशाली इतिहास है और वे श्री अकाल तख्त साहिब से प्रार्थना करेंगे कि अकाली दल को फिर से पुराने ढर्रे पर लाया जाए।