हाथरस में सत्संग के दौरान हुए दर्दनाक हादसे के बाद यह सवाल हर किसी के जहन में है कि आखिर वह बाबा कौन है कि जिसके कार्यक्रम में इतने बड़े पैमाने में लोग जुटे और हादसे के शिकार हो गए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह सत्संग कार्यक्रम साकार विश्व हरि भोले बाबा का हो रहा था, अनुयायी इन्हें भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, हादसे के बाद से बाबा की कोई जानकारी नहीं मिल रही है।
17 साल पहले नौकरी छोड़ शुरू किया था सत्संग
एक रिपोर्ट के अनुसार, संत भोले बाबा मूल रूप से कांशीराम नगर (कासगंज) में पटियाली गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि पहले वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे, लेकिन 18 साल की नौकरी के बाद वीआरएस ले लिया. उन्होंने बताया कि वे अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहते हैं और उत्तर प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में घूम कर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं. खुद भोले बाबा कहते हैं कि बचपन में वह अपने पिता के साथ खेती बाड़ी का काम करते थे. जवान हुए तो पुलिस में भर्ती हो गए. उनकी पोस्टिंग राज्य के दर्जन भर थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही है ।
तैनाती के दौरान सत्संग शुरू किया। कुछ समय बाद नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए। पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है।
कई प्रदेशों में हैं अनुयायी
भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में है। भोले बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रहते हैं। सत्संग की व्यवस्था अनुयायी ही संभालते हैं। आयोजन के लिए मीडिया से दूरी बनाते हैं।
बाबा के काफिले को निकालने को लेकर मची भगदड़
सिकंदराराऊ से एटा रोड पर स्थित गांव फुलरई में सत्संग खत्म होने के बाद भीड़ निकल रही भीड़ को एक हिस्से से बाबा का काफिला निकालने के लिए रोका तभी भगदड़ मच गई। इसमें 90 लोगों की मौत होना बताया जा रहा है। मृतकों में हाथरस और एटा के रहने वाले हैं।
मेरा कोई गुरु नहीं”
संत भोले बाबा के मुताबिक, मेरा कोई गुरु नहीं है. मुझे ईश्वर से बेहद लगाव हैं. एक बार उनका अहसास हुआ था. उसके बाद मैंने अपनी पूरी जिंदगी मानव कल्याण में लगा दी. संत भोले बाबा के लाखों अनुयायी हैं ।
कोरोना काल में हुई थी लापरवाही
2 साल पहले भी जब देश में कोराना की लहर चल रही थी, उस समय उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मई, 2022 में इनके सत्संग का आयोजन किया गया ।
जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50,000 से अधिक लोग सत्संग में शामिल हुए थे. यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के गांव फुलरई में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई. हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
साथ ही इस हादसे में 100 से अधिक श्रद्धालु घायल भी हो गए हैं. इसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. सीएमओ ने इसकी पुष्टि की है. घटना की सूचना मिलने के बाद आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं ।