नवगठित 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में नई एनडीए सरकार ने कामकाज के अपने सीमित एजेंडे को पूरा कर लिया हो मगर आठ दिन के सत्र में ही सरकार और विपक्ष के बीच आक्रामक तनातनी की बिसात बिछ गई है। चुनाव नतीजों से बदली राजनीतिक तस्वीर की झलक साफ दिख रही है जहां मजबूत हुआ विपक्ष संसद में अब अपनी भूमिका में किसी गैरवाजिब अनदेखी या कटौती को तैयार नही है।
जबकि लगातार तीसरी बार सत्ता में आयी एनडीए सरकार किसी सूरत में विपक्ष के बढ़े हुए राजनीतिक मनोबल के सामने कमजोर पड़ने का संदेश नहीं जाने देना चाहती। पक्ष-विपक्ष की इस मनोवैज्ञानिक राजनीतिक जंग की झलक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच चले शब्दों के खुले तीर में साफ दिखी।