खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह पांच जुलाई को पद की शपथ लेगा। पंजाब सरकार की सिफारिशों पर उसे पैरोल मिल गई है। अमृतपाल को पांच जुलाई से नौ जुलाई तक पैरोल मिली है।
अमृतपाल डिब्रूगढ़ जेल से ही सीधे संसद में जाएगा और वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के कमरे में ही उनके समक्ष शपथ लेगा। पैरोल के दौरान अमृतपाल अपने घर नहीं जा सकेगा। उसका परिवार दिल्ली जाकर ही उससे मिलेगा। नजरबंदी अधिनियम 1981 की धारा 2 (सी) के अनुसार परिवार के सदस्य उससे मिल सकेंगे।
वहीं शपथ लेने से पहले और बाद में अमृतपाल सिंह अमृतसर ग्रामीण एसएसपी और लोकसभा सचिव द्वारा तय की गई जगह पर रहेगा। अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक कोई भी कार्य करने या कोई भी बयान देने से परहेज करेगा। अस्थायी रिहाई की अवधि में केंद्रीय जेल, डिब्रूगढ़ से नई दिल्ली और वापस आने में लगने वाला समय शामिल होगा। डीजीपी के अधीन विभाग अमृतपाल की यात्रा का सारा खर्च वहन करेगा। शपथ लेने की पूरी प्रक्रिया के दौरान अमृतसर ग्रामीण एसएसपी लोकसभा महासचिव के संपर्क में रहेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत नौ सहयोगियों के साथ असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल को चार दिन की पैरोल दी गई है ताकि वह लोकसभा सदस्य की शपथ ले सके. फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने कहा कि अमृतपाल के पांच जुलाई को सांसद के रूप में शपथ लेने की संभावना है ।
खालसा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘‘मैं बुधवार (3 जुलाई) को दिल्ली में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलने उनके आवास पर गया. उन्होंने कहा कि शपथ पांच जुलाई को दिलाई जाएगी.’’
अमृतपाल सिंह ने कितने वोटों से जीत दर्ज की थी?
लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने वाले अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने खडूर साहिब सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को 1,97,120 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी ।
अमृतपाल सिंह को कब गिरफ्तार किया गया है?
जालंधर जिले में वाहन और हुलिया बदलकर 18 मार्च को पुलिस की गिरफ्त से भागे खालिस्तान समर्थक अमृतपाल को एक महीने से अधिक समय की लंबी तलाश के बाद पिछले साल 23 अप्रैल को मोगा के रोडे गांव में गिरफ्तार किया था।
पंजाब पुलिस ने पिछले साल 23 फरवरी की अजनाला घटना के बाद कार्रवाई शुरू की थी. इस घटना में अमृतपाल और समर्थक अपने एक सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान की रिहाई के लिए बैरिकेड तोड़कर अमृतसर शहर के बाहरी इलाके में स्थित थाने में घुस गए थे और वहां पुलिसकर्मियों से भिड़ गए थे. इनमें से कुछ लोगों के पास तलवार और बंदूकें भी थीं ।
अमृतपाल और सहयोगियों पर वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाने, हत्या का प्रयास, पुलिसकर्मियों पर हमला और लोकसेवकों को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के आरोप में कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे ।