पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई है। पंजाब सकरार ने हाईकोर्ट से आदेश का पालन करने के लिए 15 दिन की मोहलत मांगी है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि इस बार आदेश का पालन नहीं किया गया तो हमें सख्त आदेश जारी करने को मजबूर होना पड़ेगा।
कोटकपूरा गोलीकांड में निलंबित आईजी परमराज उमरानंगल ने याचिका दाखिल करते हुए सेवा नियमों का हवाला देते हुए निलंबन के आदेश को चुनौती दी थी।
इसके साथ ही सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के आदेश को भी रद्द करने की मांग की थी जिसमें कैट ने उनकी निलंबन के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि आपराधिक मामले में लंबित जांच की आड़ में किसी अधिकारी को अनिश्चितकाल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता है।
आदेश के अनुसार याची का निलंबन अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 3 के उपखंड (8) के तहत रद्द किया जाता है। इस नियम के अनुसार निलंबन के आदेश की संबंधित समीक्षा समिति द्वारा निश्चित अंतराल पर की जानी चाहिए। इसके जारी होने की तारीख से 60 दिनों की अवधि के भीतर, ऐसा न करने पर निलंबन आदेश निरस्त मानने का प्रावधान है।
उमरानंगल ने अपनी याचिका में कहा था कि वर्तमान मामले में उनके निलंबन का विस्तार आदेश निलंबन के प्रारंभिक आदेश के 632 दिनों की अवधि के बाद जारी किया गया है।
बहाली के लिए उनकी याचिका को खारिज करते हुए कैट ने नियम 3 के उप-खंड (1बी) और 21 दिसंबर के संशोधन पर विचार नहीं किया जो विशेष रूप से निलंबन की अवधि से संबंधित है।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2 फरवरी को याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया था और साथ ही उसे सेवा में शामिल होने की अनुमति देने का निर्देश दिया था। आदेश को लंबा समय बीत जाने के बाद भी पालन न होने पर उमरानंगल ने अब अवमानना याचिका दाखिल की है। इस पर हाईकोर्ट गृह सचिव को नोटिस जारी कर चुका है।