चरणजीत सिंह चन्नी के कंधों पर थी चुनाव की जिम्मेदारी

उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना सब कुछ झोंक दिया था। चुनाव की सारी जिम्मेदारी जालंधर के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कंधों पर थी।

कांग्रेस के लिए चिंता का कारण यह भी है कि अभी उसे चार और उपचुनाव और पांच नगर निगम चुनाव लड़ने हैं। दोआबा की दलित राजनीति में चौधरी परिवार के पतन के बाद चरणजीत सिंह चन्नी नए नेता के रूप में उभरे थे।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मारी थी बाजी

लोकसभा चुनाव में चन्नी ने यह सीट न केवल जीती थी, बल्कि जालंधर पश्चिमी में उन्हें 44,394 वोट मिले थे। भाजपा के सुशील रिंकू को 42,837 वोट मिले थे।

रिंकू चन्नी से इस विधानसभा में 1,557 वोटों से पीछे रहे थे। उपचुनाव के परिणाम आने के मात्र 40 दिन के भीतर ही कांग्रेस पहले से तीसरे स्थान पर खिसक गई।

तीसरे नंबर रही थीं कांग्रेस की प्रत्याशी

आप के मोहिंदर भगत ने चुनाव जीता तो भाजपा के शीतल अंगुराल 17,921 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस की महिला उम्मीदवार सुरिंदर कौर 16,757 वोट लेकर तीसरे स्थान पर आईं। चुनाव सीधे चन्नी के चेहरे पर लड़ा गया था।

पार्टी ने प्रत्याशी के चयन से लेकर चुनाव की रणनीति की सारी जिम्मेदारी चन्नी को ही सौंपी थी। लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव के 40 दिन के भीतर चन्नी का जादू खत्म हो गया। 2021 में मुख्यमंत्री बनने के बाद चन्नी अपने आपको बड़ा दलित साबित करने में जुटे हुए हैं।

नहीं चल पाया चन्नी का जादू

2022 का विधानसभा चुनाव भी चन्नी के ही चेहरे पर लड़ा गया। लोकसभा चुनाव में जब चन्नी ने जीत हासिल की तो वह दलितों के बड़े नेता के रूप में उभरे, लेकिन सुरक्षित सीट पर चन्नी का जादू चल नहीं पाया जबकि चन्नी पूरे चुनाव में जालंधर पश्चिमी में सक्रिय रहे। अब उन्हें इस पर मंथन करना होगा।