पंजाब के मशहूर गायक शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला की हत्या के आरोपी गैंगस्टर को पुलिस हिरासत से फरार होने में मददगार एएसआई को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत से इन्कार कर दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए एएसआई प्रीतपाल सिंह ने हाईकोर्ट से नियमित जमानत देने की मांग की थी। याची ने कहा था कि वह पिछले 13 महीने से जेल में बंद है। इस मामले में ट्रायल पूरा होने में समय लगेगा और ऐसे में उसे नियमित जमानत दी जाए।
हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि याची का काम बदमाशों के हाथों नून-व्यवस्था की रक्षा करना है, जबकि पुलिस विभाग में काम करने के बावजूद याचिकाकर्ता ने न केवल विभाग को बल्कि आम जनता के हितों के खिलाफ काम किया। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार वह गैंगस्टर को पुलिस स्टेशन से अपने निजी कार में अपने आवासीय क्वार्टर में लेकर गया और वहां से गैंगस्टर भाग गया। याचिकाकर्ता का काम पुलिस थाने में विचाराधीन कैदी से पूछताछ करना था, ताकि उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों के पीछे की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
जमानत का विरोध करते हुए, सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता एक पुलिस अधिकारी था, जिसे पूछताछ के लिए एक विचाराधीन गैंगस्टर की हिरासत सौंपी गई थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने उक्त विचाराधीन गैंगस्टर दीपक उर्फ टीनू को भागने में मदद की।
एक महीने की सजा काट चुका, दी जाए जमानत: वकील
उसके वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता सलाखों के पीछे है और एक साल और एक महीने की अवधि के लिए कारावास काट चुका है इसलिए उसे नियमित जमानत दी जाए।
जमानत का विरोध करते हुए, सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता एक पुलिस अधिकारी था, जिसे पूछताछ के लिए एक विचाराधीन गैंगस्टर की हिरासत सौंपी गई थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने उक्त विचाराधीन गैंगस्टर दीपक उर्फ टीनू को भागने में मदद की।
कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता जिसका काम यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अनधिकृत हथियार का उपयोग न करे या उसे अपने कब्जे में न रखे, वह खुद अपने क्वॉर्टर में अवैध हथियार रखता था, जिसे उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके निशानदेही पर बरामद किया गया।
अपने हित के लिए किया कानून का उल्लंघन: हाई कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य दर्शाता है कि याचिकाकर्ता किस तरह का व्यक्ति है। जस्टिस सेठी ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता एक सामान्य विचाराधीन अभियुक्त होता तो जमानत देने पर विचार अलग होता, लेकिन कानून के रक्षक को जमानत देने पर विचार, जिसने अपने हित के लिए कानून का उल्लंघन किया है राहत नहीं दी जा सकती।
राज्य पुलिस ने याचिकाकर्ता पर विश्वास जताया था कि वह विचाराधीन गैंगस्टर से पूछताछ उसी तरह करेगा जैसा कि अपेक्षित है लेकिन याचिकाकर्ता ने अपने आचरण के माध्यम से इस विश्वास को नष्ट कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित के आचरण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, भले ही वह एक साल की सजा काट चुका हो।
क्या कानून के रक्षक को, जिसने कानून का उल्लंघन करते हुए असामाजिक तत्वों की मदद की है, नियमित जमानत देकर समाज में वापस लाया जाना चाहिए। इसी मामले में प्रितपाल के खिलाफ दो अक्टूबर 2022 को मानसा में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था।