दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साउथ वेस्ट रेंज टीम ने अंतरराष्ट्रीय नकली भारतीय मुद्रा नोट (FICN) रैकेट में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। स्पेशल सेल ने इन दोनों आरोपियों के पास से 500 रुपये के 582 नकली नोट बरामद किए हैं, जिन्हें पड़ोसी देशों से तस्करी कर बिहार और फिर दिल्ली लाया जा रहा था।
गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की पहचान राम प्रवेश रॉय (48) और अली असगर (48) के रूप में हुई है। दोनों आरोपी मूल रूप से बिहार के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं. यह नकली नोट पाकिस्तान से नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत के विभिन्न राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था।
दिल्ली स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त मनोज सी के मुताबिक, पुलिस टीम को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में नकली नोट चलाने वाले देश विरोधी तत्वों के खिलाफ इनपुट मिले थे. जानकारी को और अधिक समेकित करने के लिए इन इनपुट पर काम किया गया।
इंस्पेक्टर मनिंदर सिंह, इंस्पेक्टर नीरज कुमार और इंस्पेक्टर संदीप यादव के नेतृत्व में टीम ने खुफिया स्रोतों से अधिक जानकारी इकट्ठा की और सिंडिकेट सदस्यों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी।
इसके बाद टीम को जानकारी मिली कि नेपाल-रक्सौल बॉर्डर से भारत में नकली भारतीय नोटों की सप्लाई की जा रही है. टीम को विशेष जानकारी मिली थी कि 6 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय रैकेट का एक सदस्य राम प्रवेश रॉय नकली नोटों की एक बड़ी खेप की आपूर्ति करने के लिए आनंद विहार रेल टर्मिनल क्षेत्र में आएगा। इसके बाद तुरंत एसीपी साउथ वेस्टर्न रेंज संजय दत्त की देखरेख में इंस्पेक्टर नीरज कुमार के नेतृत्व में एक छापेमारी टीम का गठन किया गया।
टीम ने तुरंत आनंद विहार रेलवे टर्मिनल के पास स्थित फुटओवर ब्रिज के पास जाल बिछाया और मुखबिरों की निशानदेही पर रात करीब 8:15 बजे एक व्यक्ति को पकड़ने में सफलता हासिल की, जिसकी पहचान शिवहर जिले के राम प्रवेश राय के रूप में हुई वह बिहार के गांव भोडिया का रहने वाला है। उसके कब्जे से 500 रुपये के 2.89 लाख रुपये के 578 नकली नोट बरामद हुए हैं। स्पेशल सेल थाने की पुलिस ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 179/180 के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
आरोपी राम प्रवेश रॉय से विस्तार से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह लोनी और खासकर दिल्ली एनसीआर इलाके में प्लंबर का काम करता है और पिछले 3 वर्ष से नकली नोटों का कारोबार कर रहा है । इसमें खरीद और आपूर्ति शामिल है। ठेकेदारी और प्लंबर के काम में मुनाफा न होने और जल्दी पैसा कमाने के लिए उसने अपने साथी अली असगर के साथ मिलकर नकली भारतीय करेंसी नोटों की तस्करी का धंधा शुरू कर दिया।
राम प्रवेश की मुलाकात असगर से मुजफ्फरपुर स्थित उसके गांव में हुई थी. रामप्रवेश राय की निशानदेही पर अली असगर के ठिकाने की भी पहचान कर ली गयी और 12 जुलाई को अली असगर को बिहार के मुजफ्फरपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस रिमांड के दौरान अली असगर के घर से 500 रुपये के चार नकली नोट बरामद हुए।
रैकेट सरगना आसिफ फरार
पूछताछ के दौरान अली असगर ने बताया कि आसिफ इस रैकेट का सरगना है. आसिफ नेपाल सीमा पर नकली नोटों की तस्करी करता है और आदतन अपराधी है। उसे पहले भी नकली नोट मामले में स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था और वह फरार है। पुलिस टीमें भी उसकी तलाश में जुटी हैं। अली असगर के खिलाफ 2009 में बिहार में नकली नोट मामले में पहले ही केस दर्ज हो चुका है।
सीमा से नकली मुद्रा का प्रवेश: आरोपी अली असगर ने यह भी खुलासा किया है कि आसिफ एक अन्य व्यक्ति अंसारी के साथ भारत-नेपाल या भारत-बांग्लादेश सीमा पार करता है और नेपाल या बांग्लादेश के माध्यम से पाकिस्तान से नकली मुद्रा खरीदता है। आसिफ के खिलाफ तीन पुराने आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. एक मामले में स्पेशल सेल उसे 2017 के मामले में भगोड़ा भी घोषित कर चुकी है. आरोपियों के पास से नकली नोटों के अलावा 5 मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं।