पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन तथा जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्री ब्रह्मशंकर जिम्पा ने फिल्लौर में पंडित श्रद्धा राम की प्रतिमा का उद्घाटन किया।
यह प्रतिमा सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल (लड़के), फिल्लौर में स्थापित की गई है। पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी एक प्रसिद्ध लेखक और विश्व प्रसिद्ध आरती ‘ओम जय जगदीश हरे’ के रचयिता थे। उनका जन्म 30 सितम्बर, 1837 को फिल्लौर में हुआ था।
ब्रह्मशंकर जिम्पा ने कहा कि पंजाब के इस महान विद्वान व्यक्तित्व पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी ने पंजाबी, हिंदी और उर्दू भाषाओं में साहित्यिक रचनाएं लिखी हैं।
उन्होंने कहा कि ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती का सनातन धर्म में विशेष स्थान है और इस आरती के प्रणेता को याद करना और नई पीढ़ी को इसके बारे में बताना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि विद्यालय में इस महान व्यक्तित्व का स्मारक बनाना एक अच्छी प्रथा है क्योंकि इससे छात्र प्रतिदिन इस महान व्यक्तित्व को देखकर प्रेरणा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने नव स्थापित प्रतिमा का उद्घाटन किया और पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने विद्यालय में पौधारोपण भी किया।
ब्रह्मशंकर जिम्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार उन शख्सियतों को उचित तरीके से याद करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, जिन्होंने पंजाब का नाम दुनिया में रोशन किया और उनके परिवारों को उचित सम्मान दिया।
उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों को किसी भी क्षेत्र में पंजाब का नाम रोशन करने वाली शख्सियतों पर गर्व होना चाहिए और उनके स्मारक स्थापित करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी उनसे मार्गदर्शन और प्रेरणा ले सके।
उल्लेखनीय है कि पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी की पंजाबी में लिखी पुस्तक ‘पंजाबी बैचिट’ और हिंदी उपन्यास ‘भाग्यवती’ साहित्यिक श्रेणी में विशेष स्थान रखते हैं। इसके अलावा दुनिया भर के हिंदू मंदिरों में आरती ‘ओम जय जगदीश हरे’ गाई जाती है।
ओम जय जगदीश हरे’ की रचना
पंडित श्रद्धाराम शर्मा का गुरुमुखी और हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। 1870 में 32 वर्ष की उम्र में पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती की रचना की।
उनकी विद्वता और भारतीय धार्मिक विषयों पर उनकी वैज्ञानिक दृष्टि के लोग कायल हो गए थे। जगह-जगह पर उनको धार्मिक विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता था और तब हजारों की संख्या में लोग उनको सुनने आते थे।
वे लोगों के बीच जब भी जाते, अपनी लिखी ‘ओम जय जगदीश हरे’ की आरती गाकर सुनाते। उनकी आरती सुनकर तो मानों लोग बेसुध से हो जाते थे। आरती के बोल लोगों की जुबान पर ऐसे चढ़े कि आज कई पीढ़ियाँ गुजर जाने के बाद भी उनके शब्दों का जादू क़ायम है।
इस आरती का उपयोग प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक और हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता मनोज कुमार ने अपनी सुपरहिट फ़िल्म ‘पूरब और पश्चिम’ में किया था और इसलिए कई लोग इस आरती के साथ मनोज कुमार का नाम जोड़ देते हैं।
भारत के घर-घर और मंदिरों में ‘ओम जय जगदीश हरे’ के शब्द वर्षों से गूंज रहे हैं। दुनिया के किसी भी कोने में बसे किसी भी सनातनी हिन्दू परिवार में ऐसा व्यक्ति खोजना मुश्किल है, जिसके हृदय-पटल पर बचपन के संस्कारों में ‘ओम जय जगदीश हरे’ के शब्दों की छाप न पड़ी हो। इस आरती के शब्द उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के हर घर और मंदिर मे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाए जाते हैं।
बच्चे से लेकर युवाओं को और कुछ याद रहे या न रहे, इसके बोल इतने सहज, सरल और भावपूर्ण है कि एक दो बार सुनने मात्र से इसकी हर एक पंक्ति दिल और दिमाग में रच-बस जाती है।
हजारों साल पूर्व हुए हमारे ज्ञात-अज्ञात ऋषियों ने परमात्मा की प्रार्थना के लिए जो भी श्लोक और भक्ति गीत रचे, ‘ओम जय जगदीश’ की आरती की भक्ति रस धारा ने उन सभी को अपने अंदर समाहित-सा कर लिया है। यह एक आरती संस्कृत के हजारों श्लोकों, स्तोत्रों और मंत्रों का निचोड़ है।