भारतीय शेयर बाजार में सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन बड़ी गिरावट आई। सेंसेक्स अंकों और निफ्टी भारी गिरावट के साथ खुले और आखिर तक रिकवर नहीं कर पाए। सेंसेक्स 885.60 अंक यानी 1.08 फीसदी की गिरावट के साथ 80,981.95 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी ने 293.20 प्वाइंट यानी 1.17 फीसदी का गोता लगाया और 24,717.70 अंकों पर बंद हुआ। अमेरिका, यूरोप और चीन समेत अन्य वैश्विक बाजारों में भी बड़ी गिरावट का रुख दिखा।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट की वजह
- अमेरिकी, यूरोपीय और अन्य एशियाई बाजारों में भारी बिकवाली के चलते भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट आई।
- कई कंपनियों के तिमाही नतीजे निवेशकों की उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। इससे भी बिकवाली के ट्रेंड ने जोर पकड़ा।
- मिडल ईस्ट में सप्लाई बाधित होने की चिंता से तेल की कीमतों में इजाफा हुआ। इससे बाजार का मिजाज खराब हुआ।
- इजरायल और ईरान के बीच तनाव की खबर ने जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ा दी और निवेश का माहौल खराब किया।
- अमेरिकी डॉलर की दरें और ट्रेजरी यील्ड में भी वृद्धि हुई। इससे विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में बिकवाली की।
अमेरिका में बढ़ा मंदी का खतरा
अमेरिका में मंदी की आशंका फिर से बढ़ रही है। खासकर, कमजोर विनिर्माण डेटा के चलते। इसी वजह से वॉल स्ट्रीट के शेयरों में गिरावट आई। यूरोप में भी निराशाजनक बैंक आय के बाद शेयर मार्केट ने भारी गोता लगाया। अमेरिका में सभी तीन प्रमुख सूचकांक नीचे बंद हुए। नैस्डैक कंपोजिट में सबसे अधिक 2.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल द्वारा सितंबर में ब्याज दरों में कटौती के संकेत के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी देखी गई थी – जो चार वर्षों में पहली बार हुआ था। हालांकि, जुलाई के विनिर्माण सूचकांक (46.8%) के विश्लेषकों के अनुमानों को पूरा करने में विफल रहने के बाद इसमें गिरावट आई।
अमेरिकी वेल्थ मैनेजमेंट और इक्विटी रिसर्च कंपनी Spartan Capital Securities, LLC के पीटर कार्डिलो ने मंदी के लिए आर्थिक चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘बेरोजगारी के दावे अनुमानों से अधिक हैं। बाजार को यह डर सताने लगा है कि अर्थव्यवस्था इस हद तक धीमी हो रही है कि हम अब से आठ से 12 महीने बाद मंदी की ओर देख सकते हैं।”
बाकी बाजारों में गिरावट क्यों
यूरोप में मुद्रास्फीति के आंकड़ों में गिरावट देखी जा रही है। इससे अनिश्चितता बढ़ गई है कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक जून के बाद सितंबर में ब्याज दरों में कटौती करेगा या नहीं। इससे जुड़ी चिंताओं के कारण फ्रैंकफर्ट और पेरिस दोनों स्टॉक 2 फीसदी से अधिक गिरावट के साथ लाल निशान पर बंद हुए।
वहीं, भारत के अलावा बाकी एशियाई बाजारों की बात करें, तो जापान के प्रमुख निर्यात क्षेत्र को प्रभावित करने वाले येन के मजबूत होने के कारण निक्केई 225 एक समय 5 फीसदी से अधिक गिर गया। हांगकांग, सिडनी, सियोल और ताइपे में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। वहीं, शंघाई, जकार्ता, वेलिंगटन, सिंगापुर और मनीला भी लाल निशान में बंद हुए।