सर्च इंजन का नाम आते ही सबसे पहला ख्याल जेहन में गूगल का ही आता है। इसी कड़ी में गूगल को लेकर एक नई जानकारी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि सर्च इंजन बाजार में अपना एकाधिकार बनाए रखने के लिए गूगल ने संयुक्त राज्य अमेरिका के अविश्वास कानून का उल्लंघन किया। एक अमेरिकी न्यायाधीश ने सोमवार को कंपनी और अमेरिकी न्याय विभाग के बीच कानूनी लड़ाई में फैसला सुनाया।
गूगल अरबों डॉलर करता है खर्च
अमेरिकी जिला न्यायाधीश अमित पी मेहता ने कहा कि गूगल इललीगल डॉमिनेंस को बढ़ावा देने और दुनिया भर में डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में उभरने के लिए अरबों डॉलर खर्च करता है। अमेरिकी न्यायाधीश की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया कंपनी के लिए एक बड़े झटके के रूप में सामने आई है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो अमेरिकी न्यायाधीश के इस फैसले से संभावित उपायों को निर्धारित करने के लिए दूसरे परीक्षण का रास्ता खुल गया है। इसमें गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट का विघटन भी शामिल हो सकता है। इस बदलाव से ऑनलाइन विज्ञापन बाज़ार में बदलाव की संभावना है। गूगल स्मार्टफोन पर 90 प्रतिशत और 95 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ ऑनलाइन खोज बाज़ार पर हावी है।
गूगल एक एकाधिकारवादी: न्यायाधीश अमित मेहता
न्यायाधीश अमित मेहता ने कहा, “अदालत इस निष्कर्ष पर पहुँची है: गूगल एक एकाधिकारवादी है, और इसने अपना एकाधिकार बनाए रखने के लिए एकाधिकारवादी की तरह काम किया है।
इस पर गूगल ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा कि कंपनी ने अपने सर्च एकाधिकार को बनाए रखने के लिए अवैध रूप से काम किया है। टेक दिग्गज ने कहा, “यह निर्णय इस बात को मान्यता देता है कि गूगल सबसे अच्छा सर्च इंजन प्रदान करता है, लेकिन निष्कर्ष यह है कि हमें इसे आसानी से उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”
कहां हुई गूगल से गलती
मेहता ने कहा कि कंपनी ने 2021 में 26.3 बिलियन डॉलर का भुगतान किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसका सर्च ऑफरिंग एक्सक्लूसिव एग्रीमेंट के ज़रिए स्मार्टफ़ोन और इंटरनेट ब्राउज़र पर डिफ़ॉल्ट पिक बना रहे। अमेरिकी जज ने यह भी कहा कि डिफ़ॉल्ट स्थिति एक “मूल्यवान अचल संपत्ति” है और डिफ़ॉल्ट विकल्प बनने के लिए प्रतिस्पर्धियों को अरबों डॉलर का भुगतान करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “Google ने अनुमान लगाया है कि सफ़ारी डिफ़ॉल्ट खोने से क्वेरीज़ में गिरावट आएगी और अरबों डॉलर का राजस्व खो जाएगा।”