संसद के मॉनसून सत्र का आज 13वां दिन है। इस सत्र में आम बजट 2024 पर चर्चा हो रही है। बजट को लेकर विपक्ष सरकार को लगातार घेर रहा है। इस बार संसद 11 अगस्त तक चलने वाली है। आज सरकार वक्फ एक्ट संशोधन बिल पेश कर सकती है। वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की ताकत है।
इन दिनों देश में वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर काफी हंगमा हो रहा है. विपक्षी दलों ने बुधवार को मांग की कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद जांच के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए. वहीं, सरकार ने कहा कि लोक सभा की भावना का आकलन करने के बाद कार्य मंत्रणा समिति इस पर निर्णय लेगी।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार बुधवार को लोकसभा में विधेयक पेश होने के बाद इसे पारित कराने के लिए दबाव नहीं बनाएगी. एक सूत्र ने बताया कि विधेयक को जांच के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाए या नहीं, इस पर बुधवार को फैसला किया जाएगा, लेकिन इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
समिति में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस विधेयक को, जिसका कुछ मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं, स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए, जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से संबंधित है और जिसका अभी तक गठन नहीं हुआ है. स्थायी समिति की अनुपस्थिति में सदन एक पैनल गठित कर सकता है।
बता दें कि हाल ही सामने आई कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर नियंत्रण लेने के लिए एक विधेयक लाने वाली है. इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा था कि वक्फ संपत्तियों का बेहतर तरीके से उपयोग किया जाएगा।
अब नए विधेयक में इस पर रोक लगाई जा सकती है। वहीं, इससे पहले सत्र के 12 वें दिन बांग्लादेश के हालात पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में बयान दिया था। जयशंकर ने वहां हिंदुओं को निशाना बनाने पर भी चिंता जाहिर की थी।
लोकसभा में विपक्ष ने मांग उठाई है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करने के बाद इसे जांच के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए। उधर, सरकार का कहना है कि लोकसभा की समझ का आकलन करने के बाद व्यवसाय सलाहकार समिति द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक पर फैसला लिया जाएगा।
सरकार के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करने के बाद इसे पारित करने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाएगा। सूत्रों का ये भी कहना है कि विधेयक को जांच के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजना है या नहीं, इस बारे में बाद में विचार किया जाएगा।