माडल टाउन स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा की कुर्सियां और सोफे जलाए जाने की घटना को लेकर पुलिस की ढीली कार्रवाई के कारण वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और अलगाववादी अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने 48 घंटे के भीतर बुधवार को दूसरी बार शहर में उत्पाद मचाया। अमृतपाल के पांच समर्थकों ने निहंगों के लिबास में गुरु तेग बहादुर नगर, ग्रीन माडल टाउन, वडाला चौक तथा अर्बन एस्टेट क्षेत्रों में तंबाकू उत्पाद बेचने वाले लोगों के करीब एक दर्जन खोखों में न केवल तोड़फोड़ की बल्कि उनसे तंबाकू उत्पाद निकाल कर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन शहर में इस बात को लेकर चर्चा रही कि अगर पुलिस ने गुरुद्वारा साहिब में हुई घटना के बाद ही कड़ी कार्रवाई की होती तो इन लोगों का हौसला इतना बुलंद न होता, क्योंकि गुरुद्वारा साहिब में भी अमृतपाल के कहने पर ही उसके समर्थकों ने कुर्सियों और सोफों को आग लगा दी थी।
पुलिस ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार
बुधवार की घटना को भी अमृतपाल द्वारा अपने समर्थकों को दिए गए आदेश से जोड़कर देखा जा रहा है। दोपहिया वाहनों पर आए इन युवकों को उक्त क्षेत्रों में जहां भी तंबाकू उत्पाद बिकते दिखे, वहां पर पहले तो दुकानदारों को धमकाया और उसके बाद तंबाकू उत्पाद बाहर निकाल कर आग लगा दी। खोखों के संचालक इन युवकों के आगे हाथ जोड़कर मिन्नतें मांगते रहे, लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी। घटना के विरोध में ग्रीन माडल टाउन से अर्बन एस्टेट को जाने वाले मार्ग पर खोखों के संचालकों ने सड़क के बीच रेहड़ी लगाकर धरना दिया और नारेबाजी की। पुलिस ने माहौल बिगड़ता देख चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया और धरना हटवा दिया।
आरोपितों से किरपानें और बरछे हुए बरामद
डीसीपी जगमोहन सिंह ने कहा कि तंबाकू उत्पाद बेचने वाले प्रदीप कुमार के बयान पर आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज करके चार आरोपितों को तरनतारन और लांबड़ां से गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपितों की पहचान तरनतारन के रहने वाले सतनाम सिंह, अजमेर सिंह व महकदीप सिंह और जालंधर के लांबड़ां के रहने वाले रणजीत सिंह के रूप में हुई है। पुलिस जांच में सामने आया है कि चारों आरोपित सोमवार को शहर में निकाले गए खालसा मार्च में शामिल थे और गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में रूके थे। आरोपितों से किरपानें और बरछे बरामद किए गए हैं। पुलिस उनकी आपराधिक पुष्ठभूमि की जांच भी कर रही है।
इनसेट घटना की सिख बुद्धिजीवियों ने की निंदा
कुर्सियां और सोफे जलाने की घटना की सिख बुद्धिजीवियों ने कड़ी निंदा की है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी (एसजीपीसी) के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने इस कृत्य को जहां गलत बताया है, वहीं एसजीपीसी सदस्य किरनजोत कौर ने कहा कि गुरुद्वारा साहिब में बुरछागर्दी (जुल्म), गुरु और गुरु की संगत की बेअदबी है। घटना को लेकर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष बलजीत सिंह दादूवाल और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
बात करने की अपील
एसजीपीसी सदस्य बीबी किरणजोत कौर ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि यह कौन सा ‘खालसा’ है, जो चलते दीवान में बुरछागर्दी करें। जालंधर के गुरुद्वारा साहिब में दीवान हाल के नीचे के फर्श पर जरूरतमंद लोगों के लिए बेंच बनाए गए हैं। दूर से देखने पर सभी के सिर एक समान दिखते हैं। अगर आपत्ति है तो पहले बात करें। गुरुद्वारा साहिब के अंदर बुरछागर्दी, गुरु और गुरु की संगत की बेअदबी है और निंदनीय है।
प्रबंधन से करें बात
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा कि अमृतपाल सिंह के समर्थकों द्वारा गुरुघर का सामान जलाना गलत और तालिबानी विचारधारा है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि अमृतपाल को इस काम में नहीं लगना चाहिए। अगर कोई शिकायत है, तो गुरुघर का सामान बाहर फेंकने के बजाय प्रबंधन से बात करें।
श्री अकाल तख्त साहिब ने दरबार हाल में सोफे या कुर्सियां लगाने पर लगाई थी पाबंदी
नवंबर 2013 में श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय में पांच सिंह साहिब एकत्रित हुए और गुरुद्वारा साहिब के दरबार हाल में किसी के लिए भी सोफे या कुर्सियों पर बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। पांच सिंह साहिबान ने आयोजकों को बालकनी या किसी अन्य कमरे में जरूरतमंदों के बैठने की व्यवस्था करने के लिए भी कहा था। इस आदेश की पालना न होने की पहले भी कई शिकायतें श्री अकाल तख्त साहिब तक पहुंची थीं, जिसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा।
विदेश में गुरुघरों में कुर्सियों और मेज का हो रहा उपयोग
अगर विदेश के गुरुघरों की बात करें तो वहां पर लंगर में कुर्सियों और मेज की व्यवस्था कर संगत को सुविधाएं दी जा रही हैं। सिख बुद्धिजीवियों का कहना है कि गुरु साहिब के सम्मान में बैठना चाहिए और लंगर भी कतार में बैठकर ही खाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति या बुजुर्ग बैठने में असमर्थ हो तो उसके लिए दरबार हाल और लंगर हाल के बाहर ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए