आज के आधुनिक दौर में किसान सिर्फ खेती तक ही सीमित ना रहे, बल्कि तकनीक और मशीनों से भी जुड़े रहें. इसके लिए हमारे एक्सपर्ट्स कई तरह के मोबाइल एप लॉन्च करते हैं. ये मोबाइल एप घर बैठे किसानों का काम आसान बना देते हैं. अब किसी भी छोटे-बड़े काम के लिए शहरों की तरफ भागने या फिर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जररूत नहीं पड़ती. इसी कड़ी में अब बिहार सरकार भी किसानों की मुसीबतों को सुलझाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए नया मोबाइल एप लाने जा रहे हैं.
बिहार की लगभग सभी पंचायतों में कृषि यंत्रों की मरम्मत के लिए एक मोबाइल एप पर काम चल रहा है, जिससे मकेनिक्स और किसानों को जोड़ा जाएगा. अब यदि किसानों को मशीनों के इस्तेमाल में कोई दिक्कत आ रही है या फिर कृषि यंत्र ठीक से काम नहीं करते तो नए मोबाइल एप की मदद से सीधा मकेनिक्स से जुड़ सकते हैं और अपने खेतों पर ऑन स्पॉट समस्या का समाधान पा सकते हैं.
किसानों को दी जाएगी तकनीकी ट्रेनिंग
कृषि यंत्रों और उपकरणों की मरम्मत के लिए किसानों को खेती-बाड़ी छोड़कर शहर जाना पड़ता है. हर जगह कृषि मशीनों को ठीक करने के लिए मकेनिक्स नहीं मिलते, इसलिए बड़ी संस्थाओं के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं, लेकिन अब बिहार राज्य के किसानों को इस मुसीबत से निजात मिलने वाली है.राज्य सरकार कृषि के चौथे रोड मैप 2023 के तहत सभी पंचायतों में 24 तरह के कृषि यंत्रों की मरम्मत करने की प्लानिंग कर चुकी है.
इसके लिए बिहार कृषि विभाग ने एक प्लान भी तैयार किया है, जिसके तहत जल्द ही भोजपुर, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया के किसानों को कृषि यंत्रों की मरम्मत से जुड़ी तकनीकी ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद अगले 3 साल के अंदर हर एक ग्राम पंचायत के लिए किसानों के बीच से ही एक तकनीशियन तैयार किया जाएगा. इससे किसानों की समस्या का समाधान होगा ही, रोजगार कमाने का भी मौका मिलेगा.
किस तरह काम करेगा ये मोबाइल एप
अभी मोबाइल एप्लीकेशन के लॉन्च को लेकर बिहार सरकार ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो इस प्लान पर कृषि विभाग ने 2.76 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की योजना है. ये राशि कृषि यंत्रों की मरम्मत करने वाले 8,400 तकनीशियन की ट्रेनिंग पर भी खर्च होंगे.
फिर ये तकनीशियन सीधा मोबाइल एप से जोड़े जाएंगे और राज्य की सुविधानुसार राज्य की तमाम ग्राम पंचायतों में जाकर किसानों को भी कृषि यंत्रों के बारे में बताएंगे और रिपेयरिंग का काम करेंगे. ये पूरी तरह से किसानों के ऊपर निर्भर करता है कि वो मोबाइल एप की मदद से किसी भी तकनीशियन को मदद के लिए बुला सकते हैं.
किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
राज्य में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने वाली इस योजना पर अधिकारियों ने बताया कि किसान जब भी मोबाइल एप के जरिए तकनीशियन या मिस्त्री को संपर्क करेंगे तो हाथोहाथ पेमेंट तय कर ली जाएगी. इतना ही नहीं, कृषि यंत्रों के बारे में तकनीशियन को स्पेशल ट्रेनिंग देकर कृषि विभाग अपना प्रतिनिधि भी बना सकता है, जिसके लिए उन्हें मानदेय भी दिया जाएगा. इस प्लान को साकार करने के लिए कृषि विभाग ने ट्रेनिंग स्पॉट चुन लिया है.
- साबौर स्थित ट्रेनिंग सेंटर में भागलपुर, कटिहार, मधेपुरा, मुंगेर औऔर बांका जिले की तमाम युवाओं और किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर में वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय की पंचायतों के किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण के लिए जोड़ा जाएगा,
- कृषि विभाग की ओर से किसानों और युवाओं को 26 दिन की तकनीकी ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें कृषि यंत्रों की रिपेयरिंग से लेकर कृषि यंत्रों को अनुदान पर भी उपलब्ध करवाया जाना है.
कृषि विभाग ने 3 साल के अंदर राज्य की हर पंचायत के लिए तकनीशियन तैयार करने का रोड़ मैप तैयार कर लिया है. इससे किसानों को ऑन स्पॉट मदद मिलेगी और युवाओं के लिए गांव में रहकर ही रोजगार के अवसर खुलेंगे.