प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा पंचतत्व में विलीन हो गईं। पीएम मोदी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। गुजरात के गांधीनगर में एक श्मशान घाट में साधारण तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया गया। हीरा बा का शुक्रवार सुबह 3.30 बजे निधन हो गया था। वे 100 साल की थीं। हीरा बा ने अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पीएम मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के घर पर लाया गया। जहां पीएम मोदी ने पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पीएम मोदी ने अपनी मां के पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया। इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट कर मां हीरा बा के निधन की जानकारी देते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पीएम मोदी और उनके भाइयों ने हीरा बा को मुखाग्नि दी। इससे पहले पीएम मोदी ने अपनी मां के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। बता दें हीरा बेन पिछले काफी दिनों से बीमार थी। बात करें हीरा बेन की तो वह हीराबेन ताउम्र संघर्षशील महिला रहीं। पीएम मोदी कई बार अपनी मां के संघर्षों का भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद किया था। तब उन्होंने कहा था कि, ‘मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं.’ तब मां की तकलीफों को याद करते हुए पीएम मोदी भावुक हो रो पड़े थे।
पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने हीराबेन के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर मीडिया के साथ बातचीत में अपनी मां की जीवन की कहानी साझा की थी। प्रह्लाद मोदी ने बताया था कि उनकी मां जब मात्र 6 महीने की थीं, तब उनकी नानी उन्हें छोड़कर चल बसीं थीं। उनका संघर्ष तो इतिहास ही जानता है। प्रह्लाद मोदी ने कहा कि मेरी नानी के गुजर जाने के बाद नाना ने दूसरी शादी की। फिर उनसे जो बच्चे हुए उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी भी हीरा बा पर ही थी. वे कहते हैं कि उनकी मां छोटी उम्र में ही मां बन चुकी थीं। भाग्य को इससे ही संतोष न था। नानाजी की दूसरी पत्नी गुजर गईं, फिर उन्होंने तीसरी शादी की। उनसे बच्चे हुए. उनका जिम्मा भी हीराबेन पर ही आया। फिर उन्होंने अपने बच्चों को भी पाला। इसके बावजूद उन्हें अपनी जिंदगी से शिकायत न रही।