
हरियाणा के राज्य चुनाव आयोग ने दो मार्च को होने वाले शहरी निकाय चुनाव वीवीपैट लगी ईवीएम से कराने में असमर्थता जताई है।
वीवीपैट लगी ईवीएम में 7 सेकेंड में स्क्रीन पर जानकारी
जिन ईवीएम में वीवीपैट लगी होती है, उनमें वोट डालने के बाद सात सेकेंड तक स्क्रीन पर पूरी जानकारी आ जाती है। हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है और इन्हें किसी भी सूरत में हैक नहीं किया जा सकता है।
2 और 9 मार्च को होने हैं चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2013 में ईवीएम से मतदान के साथ वीवीपैट के आवश्यक प्रयोग के निर्देश दिए थे। ऐसा इसलिए किया था, क्योंकि कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम हैक होने के आरोप लगाते हुए चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। राज्य में दो व नौ मार्च को कुल 33 शहरी निकायों में चुनाव होने हैं।
लोकसभा-विधानसभा में वीवीपैट लगे ईवीएम से होता है मतदान
इनमें आठ नगर निगम, चार नगर परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों के चुनाव शामिल हैं। दो नगर निगमों के मेयर पद का उपचुनाव होगा, जबकि एक नगर परिषद एवं दो नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद के चुनाव कराए जाएंगे। तीन नगर पालिका समितियों में एक-एक वार्ड में उपचुनाव होने प्रस्तावित हैं। एडवोकेट हेमंत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2013 में डॉ. सुब्रहमण्यम स्वामी बनाम भारतीय चुनाव आयोग नामक केस में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया है।
इस फैसले के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा ईवीएम के साथ वीवीपैट का प्रयोग कर ही देश में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव तथा उपचुनाव करवाए जा रहे हैं। जून 2022 में जब राज्य में 18 नगरपालिका परिषदों एवं 28 नगरपालिका समितियों के आम चुनाव हुए थे, तब भी राज्य चुनाव आयोग से वीवीपैट के माध्यम से चुनाव कराने का अनुरोध किया गया था।
राज्य चुनाव आयोग ने दिया यह तर्क
राज्य चुनाव आयोग द्वारा 15 जून 2022 को एक पत्र के जरिए स्पष्ट किया गया था कि जून 2020 में भारतीय चुनाव आयोग को लिखकर प्रदेश में नगर निकाय और पंचायत चुनावों के दृष्टिगत 45 हजार एम-3 मॉडल की नई तकनीक वाली ईवीएम मांगी गई थीं, परंतु केंद्रीय चुनाव आयोग ने यह जवाब दिया कि वह केवल एम-2 मॉडल वाली पुरानी ईवीएम ही लोन के आधार पर राज्य चुनाव आयोग को दे सकता है।
यह भी बताया गया कि उसकी पॉलिसी के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोगों को एम-3 मॉडल की ईवीएम प्रदान नहीं की जा सकती। राज्य चुनाव आयोग का कहना है कि उसके द्वारा वर्ष 2008 से प्रदेश के स्थानीय शहरी व पंचायत चुनावों में ईवीएम का प्रयोग किया जा रहा है, जिसके लिए उसने वर्ष 2007 से 2010 तक बीईएल बेंगलुरु से 5314 एम-2 मॉडल वाली सिंगल पोस्ट ईवीएम खरीदी और फिर वर्ष 2014 से 2016 तक 1560 सीयू (कंट्रोल यूनिट) और 3120 बीयू (बैलेटिंग यूनिट) मल्टी पोस्ट ईवीएम खरीदी। शेष ईवीएम राज्य चुनाव आयोग स्थानीय चुनाव करवाने हेतु समय समय पर केंद्रीय चुनाव आयोग से लोन के आधार पर लेता रहा है।
राज्य चुनाव आयोग चाहे तो स्वयं खरीद सकता है नई मशीनें
हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा स्वयं के स्तर पर एम-3 मॉडल अर्थात वीवीपैट के साथ मैचिंग वाली नई ईवीएम की खरीद को लेकर जब तक आयोग की तकनीकी मूल्यांकन कमेटी द्वारा उनका डिजाइन फाइनल नहीं किया जाता, जब तक ऐसा नहीं हो जाता एवं आवश्यक मात्रा में एम-3 मॉडल की ईवीएम नहीं खरीदी जा सकती।
तब तक आयोग द्वारा प्रदेश में म्युनिसिपल और पंचायत चुनाव वीवीपैट वाली ईवीएम से नहीं करवाए जा सकेंगे। हेमंत कुमार का कहना है चूंकि हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग को भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (के) और (जेडए) में प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण संबंधी पर्याप्त शक्तियां प्रदान हैं, इसलिए वह स्वयं अपने स्तर पर एम-3 मॉडल वाली यानी वीवीपैट के साथ ईवीएम केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों से स्थायी स्तर पर खरीद सकता है।