गावस्कर ने अपने संदेश में लिखा, ‘यह वाकई बहुत दुखद खबर है। कुछ ही समय में मुंबई क्रिकेट ने अपने दो दिग्गज खिलाड़ियों मिलिंद और पद्माकर को खो दिया है। यह दोनों कई जीत के सूत्रधार थे।’
उन्होंने कहा, ‘भारतीय कप्तान के तौर पर मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को ‘पैडी’ को टेस्ट टीम में शामिल करने के लिए राजी नहीं कर पाया। वह कुछ अन्य गेंदबाजों की तुलना में भारतीय टीम में शामिल होने के अधिक हकदार थे। आप इसे किस्मत कह सकते हैं।’ शिवलकर ने 22 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और 48 साल की उम्र तक खेलते रहे। उनका प्रथम श्रेणी करियर 1961-62 से 1987-88 सत्र तक चला। उन्होंने कुल 124 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 19.60 की औसत से 589 विकेट लिए, जिनमें से 361 विकेट रणजी ट्रॉफी में आए।
इस बायें हाथ के पूर्व स्पिनर की तारीफ करते हुए गावस्कर ने लिखा, ‘वह ऐसे गेंदबाज थे जो प्रतिद्वंद्वी टीम के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को आउट कर मुंबई के लिए जीत सुनिश्चित करते थे।’ उन्होंने कहा, ‘वह अपने किफायती रन अप और खूबसूरत एक्शन के साथ पूरे दिन गेंदबाजी कर सकते थे। ‘पैडी’ एक अनोखे व्यक्ति थे और उनके निधन से मैं बहुत दुखी हूं। ओम शांति।’