
सिख समुदाय से की एकजुट होने की अपील
‘आज सिखों में धार्मिक मतभेद का माहौल’
पंथ के सामने मौजूद धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बात करते हुए ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि हमारे अधिकांश मुद्दे गुरु की परंपरा से अलग होने के कारण उत्पन्न हुए हैं। यह चिंता का विषय है कि आज सिखों में धार्मिक मतभेद का माहौल है।
सिख समुदाय बड़े हमलों का शिकार है- ज्ञानी कुलदीप सिंह
उन्होंने कहा कि राजनीतिक तौर पर सिख समुदाय बड़े हमलों का शिकार है, जहां एक तरफ देश में अल्पसंख्यकों में डर का माहौल पैदा किया गया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके सिखों के खिलाफ यूएपीए और एनएसए जैसी काले कानून और धाराएं लगाई गई हैं और युवाओं को लंबे समय से जेलों में रखा गया है।
सिख आबादी की पलायन पर जताई चिंता
ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि पंजाब की सिख आबादी को यहां से पलायन करने पर मजबूर किया जा रहा है और बदले में बड़ी संख्या में गैर पंजाबी आबादी को बसाकर पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक बनाने की गहरी साजिश चल रही है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के नेताओं को एक खास डेरे या अप्रवासियों के कुछ हजार वोटों की चिंता है, लेकिन वे यहां रहने वाले लाखों सिखों के वोटों की गिनती नहीं करते। इसका मुख्य कारण यह है कि हम बहुत बुरी तरह से बंटे हुए हैं।
नशे को लेकर भी दिया बयान
ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि सामाजिक दृष्टि से आज सिख समाज अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार हो चुका है, जिसमें हमारे युवा नशे के आत्मघाती रास्ते पर जाने के कारण मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई सरकारें बदल चुकी हैं, लेकिन नशे का प्रचलन रुकने की बजाय लगातार बढ़ रहा है और हजारों नौजवान लड़के-लड़कियां इसकी चपेट में आकर मर चुके हैं।
ज्ञानी कुलदीप सिंह ने धर्म परिवर्तन पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए जमीनी स्तर पर एक प्रभावी धर्म प्रचार आंदोलन की आवश्यकता है, जिसे वह सिख संतों, महापुरुषों, संप्रदायों, बुद्धिजीवियों और विद्वानों की मदद से प्राथमिकता के आधार पर शुरू करेंगे।
गुरुसिखों से मार्गदर्शन लेना होगा: ज्ञानी कुलदीप सिंह
उन्होंने कहा कि हमें अशांत समय में अपने मन, वचन और कर्म से सिख धर्म को जीने वाले महान गुरुसिखों से मार्गदर्शन लेना होगा और उनके जैसा जीवन अपनाना होगा।
उन्होंने सिख चरित्र निर्माण करने वाले महापुरुषों को याद करते हुए कहा कि आज हमारे पास बाबा साहिब सिंह बेदी, अकाली जत्थेदार फूला सिंह, बाबा राम सिंह, संत अतर सिंह मस्तुआने वाले, बाबा नंद सिंह जी, संत करतार सिंह जी खालसा भिंडरां वाले, संत बाबा जरनैल सिंह जी भिंडरां वाले, संत बाबा हरनाम सिंह जी रामपुर खेड़े वाले, बाबा दया सिंह जी सूर सिंह वाले, भाई काहन सिंह नाभा, ज्ञानी दित्त सिंह, भाई वीर सिंह और प्रो. पूर्ण सिंह जैसे महापुरुषों के जीवन और संकल्प को लेकर धर्म प्रचार के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम 20वीं सदी के अकाली आंदोलन के नेताओं के जीवन और चरित्र को वर्तमान सिख राजनेताओं से भी अधिक सम्मान देते हैं।
2 दिसंबर को लिए गए फैसले पर कही ये बात
गत दिनों शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के संबंध में सिंह साहिबानों द्वारा 2 दिसंबर को लिए गए फैसले के बारे में बात करते हुए जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि गुरमत की रोशनी में अकाल तख्त साहिब से जारी किए गए हुक्मनामों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती तथा यही बात बिना किसी अपवाद के 2 दिसंबर को जारी किए गए हुक्मनामों पर भी लागू होती है।
अतः ऐसी आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए भर्ती समिति द्वारा पुनः परीक्षण किया जाएगा तथा संबंधित पक्षों की आपत्तियों को दूर करने का निर्णय लिया जाएगा। संबंधित पक्षों से आग्रह किया जाता है कि वे इस संबंध में एक-दूसरे के प्रति कठोर बयानबाजी से बचें। उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर के निर्णयों में एक महत्वपूर्ण निर्णय पंथिक एकता को लेकर भी हुआ है।