
समाज को शिक्षित करने वाली शिक्षा की हरियाणा में गति निराली है। कहीं स्कूल है तो विद्यार्थी नहीं, विद्याथी और स्कूल दोनों हैं तो मास्टरजी नहीं। मास्टरजी हैं तो उनपर निगरानी करने वाले पदाधिकारी नहीं। पदाधिकारी हैं तो एक के जिम्मे 12 पदभार हैं।
वाह री शिक्षा और वाह री तेरी व्यवस्था…तेरी लीला भी खूब है। विभागीय स्तर पर की जा रही लीला से खुद शिक्षा का चेहरा सफेद पड़ गया है। एक पदाधिकारी जब 12 पदभार संभालेंगे तो स्वाभाविक ही यह हकीकत सामने आएगी कि शिक्षार्थी स्कूल की सूरत देखते रह जाते हैं और शिक्षक अपनी मनमर्जी से स्कूल चलाते हैं। शिक्षा कराहती है तो कराहती रहे? ये कैसी व्यवस्था?
प्रदेश में खाली है इतने पद
प्रदेश में जिला शिक्षा अधिकारी (डीइओ), जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) और डाइट प्राचार्य स्तर के 76 में से 31 पद खाली हैं। इसी प्रकार डिप्टी डीईओ के 64 में 59 पद हैं रिक्त हैं। ऐसे हालात एक दो महीने से नहीं, पिछले कई वर्षों से बने हैं।अनेक पदभार संभालने वाले कई अधिकारी तो डिप्रेशन में चल रहे हैं। उनकी जुबानी में यहां तक सुना जा रहा है कि नौकरी करना आसान नहीं रहा, लगता है जल्द ही यह नौकरी छोड़नी पड़ेगी। सरकार खाली पदों को भरे तो बात बने।
एक-एक के पास छह से 12 पदों का कार्यभार
पानीपत डीईईओ के पास भिवानी के डीइओ, डीईईओ, डाइट प्राचार्य के अलावा डिप्टी डीईओ का भी कार्यभार है। इसी प्रकार फरीदाबाद के डीइओ के पास नूंह के डीईओ आदि 12 पदों का कार्यभार हैं। चरखी दादरी के डीईईओ के पास भी डीईओ, डिप्टी, डाइट आदि सबके कार्यभार हैं।
ये तो बानगी है, ऐसे अनेक डीईओ और डीईईओ हैं जिनके पास कई-कई पदों का कार्यभार है। अधिकारियों की कमी के चलते शिक्षण कार्यों का निरीक्षण, विभागीय जरूरी कार्य, कोर्ट केस, सरकारी योजनाओं का मूल्यांकन आदि अनेक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी पदोन्नति की बाट जो रहे हैं।