
विधि आयोग कर चुका है निरस्त करने की सिफारिश
सट्टेबाजी के मामलों की बनी हैं अलग-अलग श्रेणियां
सट्टेबाजी के मामलों की अलग-अलग श्रेणी विधेयक में परिभाषित की गई है। पहली बार अपराध करने पर सामान्य सजा और जुर्माना होगा। दूसरी बार या दो से अधिक बार वही अपराध करने के मामलों में सजा बढ़ेगी। अधिकतम सात साल तक की सजा इस तरह के मामलों में हो सकेगी।
पांच लाख तक का जुर्माना भी इस विधेयक के अनुसार लगाया जाएगा। इस कानून में पुलिस को भी बड़े अधिकार दिए गए हैं। सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी ही इस तरह के मामलों की जांच कर सकेंगे।
पुलिस अधिकारी बिना वारंट कर सकेंगे गिरफ्तार
इस मामले में कार्यकारी मजिस्ट्रेट या राजपत्रित पुलिस अधिकारी सट्टेबाजी की विश्वसनीय सूचना मिलने के बाद सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को किसी स्थान पर प्रवेश करने या सट्टेबाजी में शामिल लोगों की तलाशी लेने के लिए अधिकृत कर सकेंगे। पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकेंगे। मौके से नकदी व अन्य सामग्री भी जब्त हो सकेगी।