
17 साल पहले हुई एक गलत डिलीवरी ने रिश्वत के एक ऐसे खेल को सामने ला दिया जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। वर्ष 2008 में महज 33 दिन पहले हाई कोर्ट की जज बनी जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर अचानक नोटों से भरा पैकेट आ पहुंचा। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने बिना वक्त गंवाए पुलिस को सूचना दे दी। इस एक घटना ने रिश्वत के बड़े खेल का पर्दाफाश कर दिया।
जानें क्या है मामला?
पता चला कि ये 15 लाख रुपये रिश्वत के थे, जो हरियाणा के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल ने कथित तौर पर जस्टिस निर्मल यादव को भेजे थे। बंसल का मुंशी गलती से ये रकम जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर ले आया, जिसके बाद जस्टिस निर्मल यादव और संजीव बंसल समेत कई बड़े कारोबारियों के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया।
17 साल केस चलने के बाद अब ये फैसला हो जाएगा कि इस रिश्वत के खेल में आरोपितों की भूमिका थी या नहीं। शनिवार को सीबीआइ की विशेष अदालत में इस चर्चित और ऐतिहासिक केस का फैसला सुनाया जाएगा। इन सबके बीच जस्टिस निर्मलजीत कौर के बयान केस में अहम साबित होंगे।
कैसी थी जस्टिस निर्मलजीत कौर की प्रतिक्रिया
10 जुलाई 2008 को मैं हाई कोर्ट जज बनी थी। मुझे अभी भी बधाइयां मिल रही थी। 13 अगस्त 2008 की रात करीब आठ बजे मैं अपने पिता के साथ डाइनिंग टेबल पर बैठी थी। मुझे याद है मैं सेब खा रही थी, मेरे पिता एक छोटी सी ड्रिंक लेकर बैठे थे। तभी मेरा चपरासी अमरीक अंदर आया और पंजाबी में बोला-‘मैडम, दिल्ली तों कागज आए ने।’ मैंने कहा, ‘खोल के देख।’
जब वह पैकेट के चारों ओर लिपटी टेप खोलने की कोशिश कर रहा था, तो मुझे महसूस हुआ कि ये कागज नहीं हैं और मैंने तुरंत कहा, ‘जल्दी खोल।’ इस कोशिश में, उसने पैकेट को फाड़ दिया और मैंने देखा कि अंदर नोट ही नोट थे। बिना एक सेकेंड गंवाए, मैंने कहा-पकड़ो, कौन लाया है?
मैं, मेरे पिता, मेरे नौकर सभी बाहर की ओर से दौड़े। वह शख्स अभी भी अंदर ही खड़ा था। हमें देखकर वह घबरा गया और चुपचाप खड़ा रहा। हमने पूछा किसने भेजा है, उसने जवाब नहीं दिया। मेरे पिता ने उसे जोर का थप्पड़ा मारा। फिर उसने बता दिया कि उसे संजीव बंसल ने भेजा है।
मैंने फौरन पुलिस को फोन किया। फिर चीफ जस्टिस को भी इस बारे में बता दिया। कुछ देर बाद मुझे संजीव बंसल का फोन आया। मैं उन्हें पहले से जानती थी, उन्होंने कहा कि मैडम, ये मेरा मुंशी है। इसे जाने दो, इसने ये पैकेट किसी और निर्मल सिंह को देना था, गलती से यहां ले आया। मैंने कहा आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ। मेरे जज बनने के बाद ही ये गलती क्यों हुई।
17 साल, कई जज बदले, 89 गवाहियां हुई, फैसला आज
इस घटना के बाद कई लोगों की जिंदगी बदल गई। कुछ समय बाद रिटायर्ड होने वाली जस्टिस निर्मल यादव और हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल पर केस दर्ज हुआ। बंसल की कुछ वर्षों बाद मौत हो गई। वर्षों तक केस चला, कई जज बदले, करीब 89 गवाहों के बयान हुए, 12 गवाहों के दोबारा बयान करवाए गए। सुप्रीम कोर्ट तक भी मामला पहुंचा। इन सबके बाद अब शनिवार को इस केस का मुकदमा खत्म होकर फैसला सुनाया जाने की उम्मीद है।