
नेपाल में धर्म को लेकर भी एक बड़ा विवाद बना हुआ है। 2021 के सेंसस के मुताबिक, नेपाल में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग 81 प्रतिशत से ज्यादा हैं। इसके बाद बौद्ध धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म के अनुयायी हैं।
नेपाल में राजशाही की शुरुआत लगभग ढाई सौ साल पहले हुई थी। 2008 में अंतिम राजा ज्ञानेंद्र को अपदस्थ कर दिया गया और नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बना दिया गया।
2001 में रॉयल परिवार के एक सदस्य द्वारा परिवार के 9 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद नेपाल में उथल-पुथल मच गई और माओवादी ताकतें मजबूत हुईं। इसके बाद से राजशाही के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ और नेपाल ने खुद को एक सेकुलर देश घोषित किया।
अब लोग फिर से राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं, और खासकर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता सौंपने की बातें हो रही हैं। ज्ञानेंद्र ने भले ही राजनीतिक जीवन से खुद को दूर कर लिया हो, लेकिन उनकी संपत्ति और प्रभाव अब भी बड़े पैमाने पर हैं।
ज्ञानेंद्र की संपत्ति और व्यवसाय
राजशाही खत्म होने के बाद भी पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के पास बड़ी संपत्ति है। उनके पास काठमांडू में कई महल हैं, जैसे निर्मल निवास, जीवन निवास, नागार्जुन और गोकर्ण महल।
इसके अलावा, उनके पास हजारों एकड़ में फैला नागार्जुन जंगल भी है। नेपाल के अलावा, उन्होंने अफ्रीकी देशों में भी निवेश किए हैं। उदाहरण के लिए, मालदीव में उनका एक द्वीप है और नाइजीरिया में तेल के व्यवसाय में निवेश किया हुआ है।
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने नेपाल और विदेशों में 200 मिलियन डॉलर के करीब निवेश किया है। उनका निवेश सोलटी होटल में भी था, जिसका मूल्य 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा था। इसके अलावा, चाय बागानों और अन्य व्यवसायों में भी उनका निवेश है।