
इन कांग्रेस विधायकों ने जबरदस्त तरीके से संभाला था मोर्चा
सात मार्च से आरंभ होकर 28 मार्च तक चले विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस के 38 विधायकों में से 23 ने जबरदस्त तरीके से मोर्चा संभाले रखा। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक अरोड़ा, रघुबीर कादियान, गीता भुक्कल, आफताब अहमद, जस्सी पेटवाड, शकुंतला खटक, मोहम्मद इलियास और बीबी बत्रा सबसे ज्यादा तेवरों में नजर आए।
क्या चाहता है कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व
विधानसभा सत्र की अवधि के दौरान हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद दो बार चंडीगढ़ आए। दोनों बार कांग्रेस के कई विधायकों ने हरिप्रसाद से मुलाकात कर विधायक दल का नेता घोषित करने की मांग की, लेकिन हरिप्रसाद ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि विधायक दल के नेता का नाम घोषित करना कांग्रेस हाईकमान की प्राथमिकता में नहीं है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि राज्य में 11 साल से लंबित कांग्रेस का संगठन पहले बनाया जाए।
हुड्डा को विपक्ष का नेता बनाने की मांग कर रहे हैं कुछ विधायक
कांग्रेस प्रभारी से कुछ विधायक ऐसे भी मिले, जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विपक्ष का नेता घोषित करने की मांग की बजाय स्वयं के लिए पैरवी की।
हुड्डा को इन विधायकों के बारे में पता है, लेकिन जिस तरह कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आंतरिक तौर पर हुड्डा के विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है, उसके मद्देनजर हुड्डा नहीं चाहते कि वे अपनी ही पार्टी के ऐसे विधायकों को बेनकाब करते हुए उनसे जवाबतलबी करें।
ऐसे में हुड्डा ने इन विधायकों द्वारा बीके हरिप्रसाद के लिए स्वयं के लिए की गई पैरवी को नजरअंदाज करने में ही भलाई समझी। विधानसभा में कई बार ऐसे मौके आए, जब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस द्वारा विधायक दल का नेता घोषित नहीं किए जाने पर चुटकी ली।
दो विधायकों के फ्लैट को मिलाकर बनाया जा रहा बड़ा हाल
मुख्यमंत्री ने एक बार तो यहां तक कह दिया कि मेरी नजर में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही विपक्ष के नेता हैं, क्या वे हुड्डा को विपक्ष का नेता कह सकते हैं। इस पर कांग्रेस के कुछ विधायकों ने शोर भी मचाया, लेकिन कांग्रेस विधानसभा सत्र में विपक्ष का नेता नहीं होने के चलते सत्ता पक्ष के पूरी तरह से दबाव में दिखाई पड़ी।
यह दूसरा मौका है, जब विधानसभा में कांग्रेस विधायकों को बिना विपक्ष के नेता के कार्यवाही में शामिल होना पड़ा। पिछली बार के शीतकालीन सत्र में भी कांग्रेस विधायकों ने बिना नेता के सत्र में भागीदारी की थी। भविष्य में भी कांग्रेस का संगठन बनने से पहले विधायक दल के नेता का नाम घोषित होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
ऐसे में हुड्डा विपक्ष के नेता के रूप में मिले सरकारी अवकाश के स्थान पर विधायक के रूप में मिलने वाले फ्लैट में स्थानांतरित होने पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस के दो विधायकों के फ्लैट को मिलाकर बड़ा हाल बनाया जा रहा है, ताकि वहां कांग्रेस विधायकों की बैठकें चालू की जा सकें।