सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, सेना की बीकानेर यूनिट-365 में चंडीगढ़ की एमके एजेंसी को फ्लैप बैरियर और फुल हाई टर्नस्टाइल गेट्स व इनके साफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाने का कांट्रैक्ट मिला।
आरोप है कि कंपनी ने विभिन्न बिचौलियों की मदद से आइएफए उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा को रिश्वत दी और जेम पोर्टल के नियमों को दरकिनार करते हुए न सिर्फ टेंडर प्रक्रिया की अहम जानकारी लीक करवाई, बल्कि 24.77 लाख रुपये का टेंडर भी ले लिया। सेना के विभिन्न कार्यालयों ने भी बेदी की कंपनी की फाइल पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं लगाया।

कौन है आईडीएएस अधिकारी कुशवाहा?

मामले में सबसे गंभीर आरोप 1998 बैच के इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विसेस (आइडीएएस) अधिकारी उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा पर हैं। उन पर अवैध तरीके से कांट्रैक्टर की फाइल को मंजूरी देने और उस के बदले दो प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप हैं।
उन्होंने 1998 में यूपीएएसी परीक्षा पास कर डिफेंस अकाउंट्स डिपार्टमेंट में ज्वाइन किया था। वर्ष 2004 में उनकी लेह में डिप्टी कंट्रोलर के तौर पर ट्रांसफर हुई। फिर वे इलाहाबाद, बेंगलुरु, सीडीए फंड्स आर्मी मेरठ और एमएचए दिल्ली में डिप्टी सेक्रेटरी रहे। 2015 से वे जयपुर में बतौर इंटिग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर (आइएफए) नियुक्त हुए।

बेदी व राजपूत की रिकॉर्डिंग के अंश

  • राजपूत: हांजी सर
  • बेदी: क्या हाल है
  • राजपूत: सर, बढ़िया आप बताएं
  • बेदी: अच्छा वो मैंने ट्रांसफर का स्क्रीनशॉट आपके साथ शेयर कर दिया था। आप चेक कर लो
  • राजपूत: मैंने अभी जस्ट चेक किया था, वो रिफ्लेक्ट नहीं हो रहा था
  • बेदी: अच्छा… हो जाना चाहिए। मैंने तो सुबह ही कर दिया था
  • राजपूत: ठीक है आ जाएगा, मैं इन्फोर्म कर दूंगा आपको