
कभी मुंह मोड़ लेना भी जरूरी होता है
तुमको गजल सुनाऊं क्या, अपना दर्द दिखाऊं क्या…कमलेश पालीवाल की इस रचना को खूब प्रशंसा मिली। कहते हैं कि कभी-कभी न कहना भी बेहतर होता है, इसी पर कवि राजकुमार जायसवाल ने…कभी-कभी सख्त दिल होना भी जरूरी होता है, कभी-कभी मुंह मोड़ लेना भी जरूरी होता है सुनायी।
अरुण कुमार ने जीवन के मझधारों में हौसलों की पतवार रखना, समय कठिन हो जैसा भी हो अधरों पर मुस्कान रखना…सुनाकर चुनौतियों में भी खुश रहने का संदेश दिया।
अन्य कवि-शायरों की रचनाएं
इतनी सूखी घास को क्यों वो हरी कहने लगे।
सब सुखनवर अपनी महबूबा परी कहने लगे।
– मनु बदायूंनी
मेरी दबे न आह तेरी वाह के तले।
मत सोच मलंग यहां कह गजल गया।
– अशोक मलंग
हाथ मलने को दिल नहीं करता।
पर संभलने को दिल नहीं करता।
– अनुपिंदर सिंह अनूप
हमें संस्कार बोने होंगे जो सम्मान चाहेंगे।
झुकेंगे हम तभी बच्चों को भी झुकना सिखाएंगे।।
करें हम प्यार छोटों से रखें आदर बड़ों का भी।
यूं जीवन मूल्य हम बच्चों में अच्छे डाल पाएंगे।।