
सुर, ताल, वाद्य की झंकार और नृत्य की लय ने संगीत की त्रिवेणी के प्रवाह से हनुमत प्रभु का दरबार पूरी रात भीगता रहा। इसमें कलाकार पूरे भाव में हाजिरी लगाते तो श्रोता मन विभोर हो झूमता रहा। संकट मोचन संगीत समारोह के 102वें आयोजन की प्रथम निशा कुछ इस तरह अपनी सांगीतिक तरुणाई की आभा से निखरती गई।
बुधवार को इस संस्करण की पहली ही प्रस्तुति संगीत रसिकों के लिए स्मरणीय बन गई। पद्मविभूषण पं. हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से हनुमत आराधना के स्वर फूटे तो उनके अनुरोध पर संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने साथ में शानदार-यादगार पखावज वादन किया। बांसुरी से राग विहाग की तान गूंजते ही वातावरण सुरीली लयकारियों से झंकृत होने लगा। इसमें विवेक सोनार और वैष्णवी जोशी ने सहयोग किया। तबला पर आशीष राघवानी ने साथ दिया।
दूसरी प्रस्तुति में बेंगलुरू की नृत्यांगना जननी मुरली ने भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। गंगा स्तुति पर नृत्य से आरंभ कर मीराबाई के भजन ‘हरि तुम हरो जन की पीर’ पर श्रीबजरंगबली के श्रीचरणों में भावार्पण किया। संत पुरंदरदास की रचना पर आकर्षक नृत्य करके दर्शकों से खूब प्रशंसा बटोरी। समापन महाकाल को समर्पित रचना से की। नवसाधिका के रूप में उन्होंने पहली बार हनुमत दरबार में उपस्थिति दर्ज कराई है।तीसरी प्रस्तुति में मुंबई से पधारे पं. राहुल शर्मा ने संतूर वादन से हनुमान लला के चरणों में संगीतांजलि निवेदित की। उन्होंने राग झिंझोटी में आलाप, जोड़ और झाला वादन से श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। आरोह-अवरोह के दौरान हाथों का सधा संचालन बेजोड़ रहा।
राग के स्वरूप के अनुकूल वादन ने श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने रूपक ताल में एक व तीन ताल की दो रचनाओं का वादन किया। पहाड़ी धुन के वादन से श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। तबला पर बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्र ने संगत की।
चौथी प्रस्तुति में मुंबई से आए डा. अजय पोहनकर ने सुर लगाया। शकील बदायूंनी की ग़ज़ल ‘जिंदगी आज तेरे अंजाम पे रोना आया…” को सुरों में पिरो कर सुगम गायकी से मंत्र मुग्ध किया। तबले पर कोलकाता के पंडित समर साहा, संवादिनी पर दिल्ली की पारोमिता मुखर्जी व सारंगी पर दिल्ली की गौरी बनर्जी ने संगत की।
डा. येल्ला वेंकटेश्वर राव (मृदंगम), पं. प्रवीण गोडखिंडी (बांसुरी), पं. विकास महाराज व विभाष महाराज (सरोद-सितार), रोहित पवार (कथक) को देर रात तक अपनी प्रस्तुतियों का इंतजार रहा। संचालन सौरभ चक्रवर्ती व व्योमेश शुक्ला ने किया।
महोत्सव में आज
- लावण्या शंकर – भरतनाट्यम
- डा. राजेश शाह – सितार
- पं. अजय चक्रवर्ती – गायन
- विवेक पांड्या – तबला सोलो
- पं. पूर्वायन चटर्जी – सितार
- सोहिनी राय चौधरी -गायन
- मंजूनाथ-नागराज माधवप्पा -वायलिन
- पं. नीरज पारिख – गायन