
वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी बसपा अब योगी सरकार पर हमले तेज करने जा रही है। आमतौर पर सपा और कांग्रेस पर आक्रामक दिखने वाली मायावती ने प्रदेश सरकार पर तीखे हमले किए।
पार्टी नेताओं संग बैठक में बसपा सुप्रीमो ने केवल एक बार सपा का नाम लिया और कांग्रेस का तो जिक्र तक नहीं किया, जिससे साफ है कि मायावती की पहली कोशिश अब भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करने की है।
पार्टी आगे भी इसी रुख को बरकरार रखेगी और साथ में अपने कैडर वोट को सहेजे रखने के लिए संगठन को मजबूत बनाने पर भी जोर देगी।
विरोधी दलों की रणनीति में आगे निकलने का प्रयास
बीते कई चुनावों से लगातार कमजोर प्रदर्शन से जूझ रही मायावती वंचित वर्ग के वोटों में पकड़ बनाने की अन्य विपक्षी दलों की कोशिशों से निपटने के लिए पहले से ही सक्रिय हो चुकी हैं। अब भाजपा के विरोध की अन्य विरोधी दलों की रणनीति में आगे निकलने का प्रयास किया जाएगा।
बुधवार को राज्य मुख्यालय पर उप्र और उत्तराखंड के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों संग बैठक में मायावती ने कहा कि प्रदेश में डबल इंजन वाली भाजपा सरकार सर्वसमाज के करोड़ों गरीब बहुजन के कल्याण और विकास के हिसाब से कार्य नहीं कर रही, बल्कि पूर्व की सपा सरकार की तरह ही केवल कुछ क्षेत्र व समूह विशेष के लोगों के लिए समर्पित है।
इससे प्रदेश का विकास प्रभावित हो रहा है। उप्र व उत्तराखंड की भाजपा सरकारों को भी ‘धर्म को कर्म’ के बजाय ‘कर्म को धर्म’ मानने संवैधानिक दायित्व निभाना चाहिए। द्वेष व विभाजन की संकीर्ण राजनीति खत्म होनी चाहिए।