“बल्ले की स्विंग और सही टाइमिंग देखी”

कोच ने कहा कि आप लोगों ने उसके शॉट में ताकत देखी। बल्ले की स्विंग और सही टाइमिंग देखी। अगर छक्का मारने के लिए ताकत ही एकमात्र मानदंड होता तो पहलवान क्रिकेट खेलते। यह पांच साल की ट्रेनिंग है, जिसमें हर दिन 600 सौ गेंदें खेली जाती हैं।

उन्होंने कहा कि अकादमियों में अन्य लड़के शायद एक दिन में 50 गेंदें खेलते हैं। मैंने वैभव (Vaibhav Suryavanshi) के ट्रेनिंग सत्रों के लगभग 40 वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किए हैं। आप देखेंगे कि उसका बल्ले का स्विंग युवराज सिंह जैसा है।

100 किलोमीटर की यात्रा करते थे

वैभव के कोच ओझा ने कहा कि उसके माता-पिता शानदार हैं। उसके पिता मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किलोमीटर की यात्रा करते थे। मां उसके खान-पान को लेकर बहुत सजग रहती थीं। अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन 600 गेंदें खेलता है तो उसे प्रोटीन के मामले में ज्यादा पोषण की जरूरत होगी।