मां के समाज सेवा के जज्बे ने प्राची को बचपन से ही लोगों की मदद करने का सपना देखने को प्रेरित किया। उनके पिता पवन कुमार गुप्ता और बड़ी बहन सृष्टि गुप्ता भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। प्राची के पिता गैर सरकारी प्रतिष्ठान में नौकरी करते हैं। बहन सृष्टि भी आईआईटी दिल्ली की पूर्व छात्रा हैं। उन्होंने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया।
प्राची ने भावुक होकर कहा, ‘मेरे माता-पिता और बहन का समर्थन न होता, तो यह सफर इतना सुंदर न होता। मैं सिर्फ अमीरों को और अमीर बनाने के लिए काम नहीं करना चाहती थी। मेरा सपना था देश की समस्याओं के लिए कुछ करना।

‘पैसा ही सबकुछ नहीं, समाज सेवा है असली मकसद’

प्राची का मानना है कि बैंक में पड़े पैसे से सच्ची खुशी नहीं मिलती। वह चाहती थीं कि उनकी मेहनत और नौकरी समाज के लिए मायने रखे। उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसी जिंदगी चाहिए थी, जहां मैं हर दिन यह महसूस कर सकूं कि मैंने किसी के लिए कुछ अच्छा किया।’ उनकी इस सोच ने उन्हें लाखों की नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की कठिन राह पर चलने की हिम्मत दी।

सपनों को सच करने की मिसाल

प्राची गुप्ता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखता है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल परिवार का सिर गर्व से ऊंचा किया, बल्कि यह भी दिखाया कि सच्ची सफलता वही है, जो समाज के लिए समर्पित हो। प्राची अब आईपीएस अधिकारी के रूप में देश सेवा की नई पारी शुरू करने को तैयार हैं और जल्द ही ट्रेनिंग के लिए लबसाना जाएंगी।