
मेरा पोता विनय नरवाल बहुत जांबाज और बहादुर था। मुझे यकीन है कि उसे आमने-सामने लड़ने का मौका मिलता तो वह जरूर दो चार आतंकियों को निपटाता। लेकिन आतंकियों ने कायराना हरकत की और निहत्थे पर हमला बोला। फिर भी उसने अंतिम सांस तक आतंकियों का मुकाबला किया। मुझे अपने पोते पर फक्र है, नाज है।
बहादुरी और भावुकता से भरे ये शब्द हैं विनय नरवाल के दादा सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर हवा सिंह नरवाल के। रात को विनय की शहादत की बात उनसे छुपाई गई, लेकिन सुबह तक लोगों के आने जाने से वे पूरा मामला समझ गए कि इस घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
मालिक को कुछ और ही मंजूर था
पत्रकारों से बातचीत में हवा सिंह नरवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बचपन से ही विनय को सेना में भर्ती होने का जुनून था और यही जुनून उसे मां भारती के लिए शहादत तक ले गया। उसे सेना की वर्दी से बहुत प्यार था और घूमने का शौक था। हनीमून के लिए स्विटजरलैंड जाने के सवाल पर कहा कि वहां की टिकटें नहीं मिल पा रही थी, नेवी मुख्यालय ने छुट्टी बढ़ाने के लिए भी मंजूरी दे थी, लेकिन मालिक को कुछ और ही मंजूर था।
कुचला जाए आतंकियों का फन
एक अन्य सवाल पर हवा सिंह ने कहा कि देश की सेना को इसका बदला जरूर लेना चाहिए। नम आंखों से नरवाल ने कहा कि, मोदी जी हम हाथ जोड़ते हैं, इस शहादत का बदला जरूर लेना। देश से उग्रवाद का खात्मा किया जाए, किसी के आगे किसी माता की कोख न उजड़े। जब तक इन आतंकियों का फन नहीं कुचला जाता, हमें शांति नहीं मिलेगी।