
चंडीगढ़। पंजाब के प्रमुख राजिंद्रा अस्पताल पटियाला में एक बार फिर बिजली गुल होने की घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। इस गंभीर मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार के मुख्य सचिव और पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि हलफनामा दायर कर यह स्पष्ट करें कि 15 अप्रैल 2025 को ऑपरेशन थिएटर और मैटरनिटी वार्ड में लगभग 30 मिनट तक बिजली क्यों गायब रही, और यह भी कि अस्पताल में ऑटोमेटिक स्विचओवर की व्यवस्था है या नहीं। यदि नहीं, तो अब तक इसकी स्थापना क्यों नहीं हुई।
यह मामला अधिवक्ता सुनेना द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के तहत सामने आया है। याचिका में बताया गया है कि इससे पहले भी 4 फरवरी 2025 को राजिंद्रा अस्पताल में 10 से 15 मिनट तक बिजली गुल रही थी, जिससे मरीजों और स्टाफ को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
अदालत को यह भी याद दिलाया गया कि 25 फरवरी 2025 को पंजाब सरकार के मुख्य सचिव ने एक हलफनामा दायर कर यह वादा किया था कि 1 मार्च 2025 तक अस्पताल के सभी ब्लॉक्स और वार्ड्स में डीजी सेट्स और ऑटो स्विचओवर सिस्टम की व्यवस्था पूरी कर दी जाएगी।
रूटीन मेंटेनेंस बताकर टालने की कोशिश
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जब सरकार और पीएसपीसीएल के वकीलों से इस बार हुई घटना पर सवाल किया तो उन्होंने इसे ‘रूटीन मेंटेनेंस’ बता कर टालने की कोशिश की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि इस दौरान बैकअप सप्लाई क्यों नहीं चालू की गई।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुनेना ने अदालत को बताया कि उन्होंने अस्पताल में ऑटो स्विचओवर की स्थिति जानने के लिए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया था, लेकिन उन्हें अब तक कोई उत्तर नहीं मिला है।
मामले की पृष्ठभूमि में वायरल हुआ एक वीडियो भी अदालत के समक्ष लाया गया, जिसमें एक डॉक्टर बिजली की बार-बार ट्रिपिंग और मरीजों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो इस बात का प्रमाण है कि अस्पताल में बिजली की सप्लाई को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
याचिका में मांग की गई है कि न केवल राजिंद्रा अस्पताल, बल्कि पंजाब के सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी अस्पतालों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, विशेष रूप से ऑपरेशन थिएटर और इमरजेंसी वार्ड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग भी की गई है।
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से मांगा जवाब
इससे पहले 1 मार्च 2025 को अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए पंजाब सरकार के हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया था, जिसमें बताया गया था कि 25 जनवरी 2025 को मेडिकल शिक्षा मंत्री और सचिव के साथ बैठक के बाद राजिंद्रा अस्पताल के डीजी सेट्स की मरम्मत और रखरखाव के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया था कि 1 मार्च 2025 तक सभी जरूरी व्यवस्थाएं पूरी कर ली जाएंगी।
अब जबकि 15 अप्रैल को फिर से बिजली गुल होने की घटना सामने आई है, सुनेना ने आवेदन दाखिल कर मामले को फिर से उठाया है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है