
पटियाला। अब सीबीएसई से जुड़े हर स्कूल के शिक्षक को साल कम से कम 50 घंटे की ट्रेनिंग करना जरूरी होगा। इसके लिए बोर्ड ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए हैं। सीबीएसई ने साफ किया है कि इन 50 घंटों में से 25 घंटे की ट्रेनिंग बोर्ड या सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों से लेनी होगी, जबकि बाकी 25 घंटे की ट्रेनिंग स्कूल स्तर पर करवाई जा सकती है।
इसका उद्देश्य है कि शिक्षक सिर्फ किताबों से पढ़ाने तक सीमित न रहें, बल्कि नई तकनीक और प्रयोगात्मक तरीके से पढ़ाएं। सीबीएसई की ओर से जारी किए गए इन निर्देशों का मकसद राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लक्ष्यों को लागू करना और शिक्षकों के लिए तय राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ट्रेनिंग देना है।
बोर्ड ने साल 2025 के लिए ट्रेनिंग की थीम स्टेम एजुकेशन रखा है। इसका मतलब है साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स। इस थीम के तहत शिक्षकों को इंटरडिसिप्लिनरी और एक्सपीरियेंशियल लर्निंग के लिए तैयार किया जाएगा।
स्कूलों को स्टेम पर जिला स्तर की चर्चाएं और गतिविधियां भी आयोजित करनी होंगी ताकि शिक्षक एक-दूसरे के अनुभव से सीख सकें। इसके साथ सीबीएसई ने स्कूलों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है। वहीं स्कूल प्रमुखों से अपेक्षा की गई है कि वे अपने स्कूलों में लगातार प्रोफेशनल लर्निंग और इनोवेशन की संस्कृति को बढ़ावा दें।
सीबीएसई के जिला कोआर्डिनेटर विवेक तिवारी ने कहा कि इससे शिक्षक एक-दूसरे के अनुभव से भी सीख सकेंगे जोकि छात्रों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
तीन हिस्सों में होगी ट्रेनिंग
बोर्ड की तरफ से ट्रेनिंग को तीन मुख्य हिस्सों में बांटा है। यह ढांचा नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचिंग (एनपीएसटी) के अनुरूप तैयार किया गया है। इसमें एनसीईआरटी की सीपीडी गाइडलाइंस को भी शामिल किया गया है।