
ग्रामीणों ने टीम से की बातचीत
टीम ने पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के गांवों की जमीनी हकीकत का जायजा लिया। अमृतसर के गांव रोड़ावाला खुर्द (अटारी) में सबकुछ सामान्य दिनों जैसा ही दिखा।
बुजुर्ग बोले- हमें डर नहीं लगता
गांव में गेहूं की कटाई हो चुकी है और तूड़ी बनाने का काम चल रहा है। अन्य बुजुर्गों ने कहा कि उन्हें किसी भी गीदड़भभकी से डर नहीं लगता। तीन ओर से दरिया से घिरे फिरोजपुर के गांव कालूवाला में भी लोग खेती में जुटे दिखे और महिलाएं घरों में कामकाज में लगी।सरहद पार तूड़ी बनाने का काम रुक गया, जिस कारण पशुओं के चारे की चिंता है। बजुर्ग रहना तो गांव में ही चाहते हैं, मगर युद्ध नहीं चाहते। कारण, जिन्होंने पहले युद्ध देखे हैं, वह उस दौर को अब तक नहीं भूले हैं।
बीएसएफ के साथ खड़े हैं पुरुष
तरनतारन के गांव नौशहरा ढाला में गांववासियों को जंग का कोई डर नहीं है, बल्कि वे इंटरनेट मीडिया पर फैलाई जा रही युद्ध की आशंकाओं से हैरान हैं।किसान मनजिंदर सिंह मन्ना और सरपंच मंगल सिंह के अनुसार, नौशहरा ढाला सहित छह गांवों की 1400 एकड़ जमीन कंटीली तार के पार है, जहां किसान आज भी खेती कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित जगह भेजेंगे, लेकिन पुरुष गांव की रक्षा के लिए बीएसएफ के साथ खड़े होंगे